चंडीगढ़ में मिले हिमाचल का 7.19 फीसदी हक, CM ने उठाई मांग

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By Hills Post

शिमला: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने हरियाणा के फरीदाबाद में आयोजित उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में राज्य के हितों की जोरदार वकालत की है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के तहत चंडीगढ़ की जमीन और संपत्तियों में हिमाचल प्रदेश का 7.19 प्रतिशत हिस्सा बनता है, जो राज्य को मिलना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने अपने तर्क के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट के 2011 के फैसले का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि जनसंख्या अनुपात के आधार पर हिमाचल संयुक्त पंजाब में 7.19 फीसदी हिस्सेदारी का हकदार है और यही फॉर्मूला बीबीएमबी (BBMB) से मिलने वाली बिजली में भी लागू होना चाहिए। उन्होंने बोर्ड में हिमाचल से एक स्थायी सदस्य नियुक्त करने और बकाया राशि जारी करने की भी मांग रखी।

बिजली परियोजनाओं पर राज्य का पक्ष रखते हुए सुक्खू ने केंद्र से कहा कि जिन परियोजनाओं की लागत वसूल हो चुकी है, उनमें हिमाचल की फ्री रॉयल्टी 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत की जाए। साथ ही, उन्होंने 40 साल पूरे कर चुकी जल विद्युत परियोजनाओं को राज्य सरकार को सौंपने का अनुरोध किया। सीएम ने निर्माणाधीन किशाऊ और रेणुका बांध परियोजनाओं के लिए केंद्र से पूरी वित्तीय मदद मांगी और बिजली में उत्तराखंड के साथ 50-50 फीसदी हिस्सेदारी की बात कही।

आपदा प्रभावितों के लिए नियमों में बदलाव की मांग करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पहाड़ी राज्यों की संवेदनशीलता को देखते हुए राहत के नियमों की समीक्षा जरूरी है। उन्होंने वन संरक्षण अधिनियम के तहत आपदा प्रभावित परिवारों को घर बनाने के लिए एक बीघा तक वन भूमि देने की अनुमति मांगी। उनका तर्क था कि हिमाचल में निजी जमीन के अलावा बाकी सारी जमीन तकनीकी रूप से वन भूमि की श्रेणी में आती है, जिससे पुनर्वास में दिक्कत हो रही है।

सुक्खू ने केंद्र को याद दिलाया कि राज्य सरकार अपने स्तर पर राहत पैकेज दे रही है, लेकिन वे अब भी केंद्र से 10 हजार करोड़ रुपये और प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 1500 करोड़ रुपये के पैकेज का इंतजार कर रहे हैं।

पर्यटन और कनेक्टिविटी के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार का पूरा खर्च केंद्र से उठाने का आग्रह किया। उन्होंने सीमावर्ती पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शिपकी-ला से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने की मांग दोहराई। इसके अलावा, उन्होंने लद्दाख के साथ सरचू और शिंकुला सीमा विवाद को सुलझाने और राज्य के राजस्व घाटे की भरपाई के लिए एक विशेष टास्क फोर्स बनाने का भी प्रस्ताव रखा।

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