नाहन के संजीव मित्तल: दुर्लभ संग्रह की अनोखी कहानी, सिक्कों और टिकटों का खजाना

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By पंकज जयसवाल

नाहन : मोहल्ला ढाबों के संजीव कुमार मित्तल एक बहु-प्रतिभाशाली व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने अपने जीवन में देश सेवा, शिक्षा सेवा और कला-संस्कृति के संरक्षण को समान समर्पण के साथ निभाया है। संजीव मित्तल ने अपने करियर की शुरुआत देश सेवा से की थी, जहाँ उन्होंने लगभग छह वर्ष तक कार्य किया। देश सेवा से प्राप्त अनुशासन और जिम्मेदारी की भावना ने उनके पूरे जीवन को दिशा दी।

देश सेवा के बाद उन्होंने दो वर्ष का JBT प्रशिक्षण किया और इसके बाद शिक्षा विभाग में बतौर शिक्षक नियुक्त हुए। लगभग सत्ताईस वर्षों तक उन्होंने शिक्षा विभाग में सेवा दी और अपने सरल, प्रभावी और विद्यार्थियों को प्रेरित करने वाले शिक्षण शैली के कारण वे क्षेत्र में एक आदर्श शिक्षक के रूप में पहचाने गए। शिक्षण के साथ-साथ उनका एक और जुनून था—पुराने सिक्कों और टिकटों का संग्रह। व्यस्त नौकरी के बावजूद उन्होंने इस शौक को कभी नहीं छोड़ा और जगह-जगह से दुर्लभ वस्तुएँ तलाश कर अपनी संग्रहशाला में शामिल कीं।

संजीव मित्तल के पास सिक्कों और टिकटों का बेहद अनोखा और मूल्यवान संग्रह है। उनमें ईस्ट इंडिया कंपनी के सिक्के, 1839 और 1825 के दुर्लभ प्राचीन सिक्के, राम दरबार का विशेष सिक्का, क्वीन एलिज़ाबेथ काल के सिक्के और विभिन्न देशों की मुद्राएँ शामिल हैं। इसी तरह टिकटों में अब्राहम लिंकन जैसे विश्व नेताओं के टिकट, 1947 के ऐतिहासिक टिकट, विश्वविद्यालयों के विशेष टिकट और पुराने समय के विशेष टिकट भी उनकी संग्रहशाला का हिस्सा हैं। इस शौक को वे अपने पिता से मिली प्रेरणा का विस्तार मानते हैं, जिनके पास भी कुछ दुर्लभ टिकट थे।

इतिहास और संग्रह के साथ-साथ संजीव मित्तल कला से भी गहराई से जुड़े हुए हैं। लकड़ी की कलाकृतियां बनाने में वे विशेष महारत रखते हैं। लकड़ी पर नक़्क़ाशी और उकेरण की यह कला वे वर्षों से लगन के साथ कर रहे हैं। उनकी कई कलाकृतियाँ इतनी सुंदर हैं कि वे सामाजिक आयोजनों में विशेष आकर्षण का केंद्र बन जाती हैं।

बढ़ते संग्रह और घर में स्थान की कमी को देखते हुए उन्होंने कलाकृतियाँ त्रिलोकपुर ट्रस्ट को दान दे दी ताकि यह धरोहर आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित पहुँच सके। वे मानते हैं कि कला और इतिहास सिर्फ संग्रह की वस्तुएँ नहीं, बल्कि समाज की सांस्कृतिक प्यास को बुझाने वाले स्रोत हैं। उनकी यह सोच उन्हें दूसरों से अलग और प्रेरणादायक बनाती है।

संजीव मित्तल का कहना है कि पुरानी वस्तुएँ—चाहे सिक्के हों, टिकट हों या कला—हमारे अतीत की जीवंत तस्वीर पेश करती हैं, जिन्हें संभालना और समाज तक पहुँचाना हर जागरूक नागरिक का कर्तव्य है। देश सेवा, शिक्षा सेवा और कला संरक्षण—इन तीनों क्षेत्रों में उनका समर्पण क्षेत्र के लिए गौरवपूर्ण है। उनकी जीवन यात्रा इस बात का सुंदर उदाहरण है कि जुनून, मेहनत और समाज के प्रति जिम्मेदारी व्यक्ति को हर क्षेत्र में विशेष बना देती है।

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पंकज जयसवाल

पंकज जयसवाल, हिल्स पोस्ट मीडिया में न्यूज़ रिपोर्टर के तौर पर खबरों को कवर करते हैं। उन्हें पत्रकारिता में करीब 2 वर्षों का अनुभव है। इससे पहले वह समाज सेवी संगठनों से जुड़े रहे हैं और हजारों युवाओं को कंप्यूटर की शिक्षा देने के साथ साथ रोजगार दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।