नाहन : शहर में आवारा कुत्तों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है, जिससे आम जनता में गहरा डर और गुस्सा है। पिछले एक महीने में कुत्तों के काटने की कई घटनाओं ने इस गंभीर समस्या को उजागर कर दिया है। सबसे ताजा मामला पक्का टैंक क्षेत्र से सामने आया, जहां एक निजी पार्किंग के कर्मचारी रवि कुमार पर अचानक कुत्तों के झुंड ने हमला कर दिया। बुरी तरह से घायल रवि कुमार को तुरंत मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज किया गया।
स्थानीय निवासियों, जिनमें अंजू शर्मा (गृहिणी) और विवेक गुप्ता (स्थानीय दुकानदार) जैसे लोग शामिल हैं, ने बताया कि यह क्षेत्र अब शाम होते ही असुरक्षित हो जाता है। “हमारे बच्चे बाहर खेलने से डरते हैं,” श्रीमती शर्मा ने कहा। “सड़क पर घूमना भी मुश्किल हो गया है।”

नाहन में कुत्तों के काटने की यह एक महीने के भीतर तीसरी घटना है। इससे पहले हुए एक हमले के संबंध में पुलिस में एफआईआर (FIR) भी दर्ज कराई गई है, जिसकी जांच अभी जारी है। केवल पक्का टैंक ही नहीं, बल्कि कच्चा टैंक और नया बाजार जैसे व्यस्त इलाकों से भी हाल ही में कुत्तों के काटने के दो मामले सामने आए हैं, जो दर्शाते हैं कि यह समस्या पूरे शहर में फैल चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेशों के बावजूद, शहर के पार्कों और सड़कों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाना (डॉग फीडिंग) जारी है। पशु प्रेमियों द्वारा अनियंत्रित डॉग फीडिंग के कारण इन स्थानों पर कुत्तों का जमावड़ा लगा रहता है, जिससे उनका व्यवहार आक्रामक हो जाता है और वे राहगीरों को निशाना बनाते हैं।
अजय सिंह, एक सामाजिक कार्यकर्ता, ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “जब तक सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन नहीं होगा, तब तक यह समस्या बनी रहेगी। डॉग फीडिंग के लिए नगर परिषद को निर्धारित स्थान (फीडिंग पॉइंट्स) बनाने चाहिए, न कि हर जगह सार्वजनिक सड़कों पर।”
लोगों के बढ़ते आक्रोश के बीच, नगर परिषद (नप) प्रशासन अब हरकत में आया है। नप ने शहर के सार्वजनिक पार्कों में कुत्तों को घुमाने और खाना खिलाने पर कड़ा प्रतिबंध लगा दिया है और हाल ही में इस संबंध में सूचना पट्ट भी लगाए हैं। पक्का टैंक क्षेत्र के दो सरकारी पार्कों का दुरुपयोग किए जाने की बात भी सामने आई है।
हालाँकि, इस ‘कार्रवाई’ पर एक बड़ा सवाल उठता है: क्या केवल सूचना पट्ट लगाने से कोई समाधान होगा, या कोई ठोस ‘एक्शन’ भी लिया जाएगा?
पुराने नियम बताते हैं कि शहर के पार्कों और विला राउन्ड में पहले से ही कुत्ते घुमाने पर प्रतिबंध है और चालान करने का प्रावधान भी है, लेकिन वोट बैंक की राजनीति और सियासी दखल के कारण नप प्रशासन अक्सर बेबस नजर आता है, जिसके चलते इन नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
स्थानीय निवासी डॉ. मीनाक्षी जैन (सेवानिवृत्त प्रोफेसर) ने इस पर निराशा जताते हुए कहा, “प्रशासन को इच्छाशक्ति दिखानी होगी। चालान का प्रावधान होने के बावजूद यदि कार्रवाई नहीं होती है, तो इन नए प्रतिबंधों का भी कोई मतलब नहीं रहेगा। हमें कागजी कार्रवाई नहीं, बल्कि सड़कों पर सुरक्षा चाहिए।”
नगर परिषद को जल्द से जल्द आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण का अभियान युद्धस्तर पर शुरू करना चाहिए, साथ ही प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वाले लोगों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई (चालान) करनी चाहिए ताकि जनता का विश्वास बहाल हो सके।