सोलन: डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के मृदा विज्ञान एवं जल प्रबंधन विभाग ने गुरुवार को विश्व मृदा दिवस उत्साहपूर्वक मनाया। इस वर्ष के आयोजन का थीम स्वस्थ मृदा—स्वस्थ शहर रखा गया था, जिसका उद्देश्य न केवल गांवों बल्कि शहरी परिवेश में भी मिट्टी की गुणवत्ता को लेकर जागरूकता फैलाना था।

बाढ़ और तापमान नियंत्रण में मिट्टी की भूमिका
विभागाध्यक्ष डॉ. उदय शर्मा ने थीम की व्याख्या करते हुए कहा कि शहरी विकास में मिट्टी की भूमिका को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। उन्होंने बताया कि स्वस्थ शहरी मृदा बारिश के पानी को सोखने, बाढ़ रोकने, तापमान को नियंत्रित करने और वायु गुणवत्ता सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने नीति-निर्माताओं और शहरी नियोजकों से शहरों के डिजाइन में मृदा स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की अपील की।
NABL लैब का दौरा और खाद बनाने की ट्रेनिंग
कार्यक्रम के पहले सत्र में स्नातक छात्रों को विश्वविद्यालय की एनएबीएल (NABL) मान्यता प्राप्त उन्नत प्रयोगशाला का दौरा कराया गया। यहां विभाग के वैज्ञानिक डॉ. उदय शर्मा, डॉ. राजेश कौशल, डॉ. सुधीर वर्मा और डॉ. उपेंद्र शर्मा ने छात्रों को मृदा विश्लेषण के उपकरणों की जानकारी दी। साथ ही, छात्रों को किचन वेस्ट (रसोई के कचरे) को उपयोगी खाद में बदलकर पौधों के लिए इस्तेमाल करने की तकनीक भी सिखाई गई।
दोपहर के सत्र में डॉ. प्रदीप कुमार के संयोजन में स्नातकोत्तर छात्रों के लिए ‘एक्सटेम्पोर’ (तात्कालिक भाषण) प्रतियोगिता आयोजित की गई। इसमें छात्रों ने टेरेस गार्डन में प्राकृतिक खेती, जिम्मेदार कम्पोस्टिंग और जल संचयन जैसे विषयों पर अपने विचार रखे।