नौणी विश्वविद्यालय ने डॉ. परमार जयंती पर लगाए पौधे

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By Hills Post

सोलन: हिमाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार की जयंती के अवसर पर आज डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा चलाए गए वन महोत्सव अभियान का समापन भी किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल, विश्वविद्यालय के अधिकारीगण, शिक्षकों एवं कर्मचारियों द्वारा डॉ. परमार को पुष्पांजलि अर्पित कर की गई।

अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय द्वारा हरित क्षेत्र बढ़ाने के प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बीते एक माह में विभागीय स्तर पर हुए वृक्षारोपण अभियानों के अंतर्गत अब तक 4880 पौधे लगाए जा चुके है और आज के दिन इस अभियान का समापन किया जाएगा।

इस अवसर पर प्रो. चंदेल ने डॉ. परमार के कृषि, बागवानी और वानिकी क्षेत्र में किए गए दूरदर्शी कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय के लिए गर्व की बात है कि इसका नाम ऐसे महान व्यक्ति के नाम पर रखा गया है। उन्होंने कहा कि डॉ. परमार की जयंती पर वन महोत्सव का आयोजन उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।

प्रो. चंदेल ने कहा कि डॉ. परमार ने प्रारंभिक दौर में ही यह समझ लिया था कि पर्वतीय क्षेत्रों में केवल कृषि के बल पर किसानों की उन्नति संभव नहीं है। उन्होंने बागवानी और वानिकी को कृषि से जोड़ा और पारंपरिक फसलों के संवर्धन को बढ़ावा दिया, जिससे सतत विकास की नींव रखी गई।” उन्होंने विश्वविद्यालय के कर्मचारियों से आग्रह किया कि वे डॉ. परमार की सोच को आगे बढ़ाने के लिए समर्पण के साथ कार्य करें और विकास की प्रक्रियाएं प्रकृति के साथ संतुलन में रहें, इसका विशेष ध्यान रखें।

उन्होंने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय ने पिछले वर्षों में अपने हरित क्षेत्र को बढ़ाने हेतु सतत प्रयास किए हैं। प्रो चंदेल ने बताया कि विश्वविद्यालय की बंजर भूमि को हरे-भरे क्षेत्रों में बदलने के लिए देशी वानस्पतिक प्रजातियों, सजावटी पेड़ों और फलदार पौधों का रोपण किया है। इससे न केवल मधुमक्खियों व अन्य परागणकर्ताओं को भोजन मिलता है, बल्कि फलों की बिक्री से विश्वविद्यालय की आय में भी वृद्धि होती है।

कुलसचिव सिद्धार्थ आचार्य ने डॉ परमार के दूरदर्शी सोच को नमन किया और कहा कि कृषि का उत्थान और प्रकृति के संतुलित विकास पहाड़ी राज्यों के इस आदर्श नेता के लिए एक उचित श्रद्धांजलि है।

डॉ. परमार की स्मृति में उनकी जयंती के अवसर पर अतिरिक्त 891 पौधे लगाए गए, जिससे कुल रौपे गए पौधों की संख्या 5771 पौधों तक पहुंच गई, जो विश्वविद्यालय परिसर और उसके अनुसंधान केंद्रों में लगाए गए। समापन कार्यक्रम के अंतर्गत विश्वविद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों ने मॉडल फार्म में वृक्षारोपण किया। इसके साथ ही उन्होंने पार्थेनियम उन्मूलन में भी भाग लिया।

इस माहभर चले वृक्षारोपण अभियान के दौरान विश्वविद्यालय परिसर और अनुसंधान केंद्रों में 30 विभिन्न प्रजातियों के कुल 5771 पौधे लगाए गए, जो पर्यावरण संरक्षण और पारिस्थितिकीय उत्तरदायित्व के प्रति विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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