शिमला: नौणी यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाले कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) शिमला में सोमवार को एक किसान मेले का आयोजन किया गया। किसान मेले में लगभग 200 से अधिक किसानों ने हिस्सा लिया। मेले में विशेषज्ञों ने किसानों को प्राकृतिक खेती, श्रीअन्न (मिलेट्स) और औषधीय पौधों की खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो सकेंगे और पर्यावरण का संरक्षण भी होगा।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे रोहड़ू के विधायक मोहन लाल बरागटा ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती अब कोई विकल्प नहीं, बल्कि समय की सबसे बड़ी जरूरत बन चुकी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्राकृतिक उपज का सही मूल्य दिलाने के लिए काम कर रही है ताकि किसान इसे बड़े स्तर पर अपनाएं। उन्होंने किसानों को फसल नुकसान से बचने के लिए विश्वविद्यालय की सिफारिशों का पालन करने की भी सलाह दी।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि, पद्मश्री नेक राम शर्मा ने प्राकृतिक खेती और मिलेट्स के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें अपनी भावी पीढ़ी को स्वस्थ रखने के लिए प्राकृतिक खेती की ओर लौटना ही होगा और मिलेट्स को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए।
मेले में हिमालयन फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एच.एफ.आर.आई.) के निदेशक डॉ. संदीप शर्मा ने किसानों को औषधीय पौधों की खेती से जुड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह फसल विविधीकरण का एक बेहतरीन जरिया है और भविष्य में इससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। वहीं, नौणी विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसंधान डॉ. संजीव चौहान ने किसान-वैज्ञानिक सहयोग पर बल दिया। उन्होंने इस साल का उदाहरण देते हुए बताया कि जिन किसानों ने पत्ती रोगों के लिए विश्वविद्यालय की सलाह मानी, उनके बगीचे स्वस्थ रहे।
मेले का आयोजन के.वी.के. शिमला और एच.एफ.आर.आई. ने मिलकर किया था, जिसमें विभिन्न विभागों और स्वयं सहायता समूहों ने प्रदर्शनियां भी लगाईं।