राष्ट्र और व्यावसायिक विकास के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति कारगर: प्रो. पी.के. आहलूवालिया

Photo of author

By Hills Post

शिमला: व्यवसायिक शिक्षा, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और अनुसंधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एपीजी शिमला विश्वविद्यालय द्वारा विज्ञान विभाग की ओर से विभागाध्यक्ष डॉ. मनिंदर कौर की अगुवाई में साप्ताहिक दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम का आयोजन 7 जुलाई सोमवार से विश्वविद्यालय कैंपस में किया जा रहा है, जिसका थीम शिक्षा और नवीन अनुसंधान के भविष्य को आकार देने में उभरते रुझान है l

फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम में एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के सभी संकायों के प्राध्यापक, शिक्षक और विभागाध्यक्ष भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम में पहले दिन हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर पी.के. आहलुवालिया ने बतौर मुख्य वक्ता व रिसोर्स पर्सन शिरकत की। कार्यक्रम का आगाज मुख्य वक्ता प्रोफेसर पी.के. आलूहवालिया, चांसलर इंजीनियर सुमन विक्रांत, प्रो-चासंलर प्रो. डॉ. रमेश चौहान, रजिस्ट्रार प्रो. डॉ. आर.एल. शर्मा और विश्वविद्यालय के डीन एकेडमिक्स प्रो. डॉ. आनंदमोहन शर्मा, डीन स्टूडेंट वेल्फेयर डॉ. नीलम शर्मा, डीन इंजीनियरिंग प्रो. डॉ. अंकित ठाकुर ने मां सरस्वती के सम्मान में दीपप्रज्वल कर शुभारंभ किया।

मुख्य वक्ता प्रो पी. के. आलूहवालिया ने एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के समस्त शिक्षकों, प्राध्यापकों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के शिक्षकों को विभिन्न क्षेत्रों में शोध करने की जरूरत है l सामान्य शिक्षा व डिग्री पाठ्यक्रम के साथ समाज, राष्ट की बदलती आवश्यकताओं और व्यावसायिक विकास के लिए नवाचारों, टेक्नोलॉजी और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार कार्य करने चाहिए।

प्रो. पी.के. आहलुवालिया ने कहा कि छात्रों और शिक्षकों के बीच प्रश्न पूछने की कला, नए नवाचारों और शोध को विकसित करना होगा और शोधकर्ताओं को पैनी दृष्टि रखते हुए शिक्षा प्रणाली को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान देने की जरूरत है। शोधकर्ताओं को अंतर्विषयक शोध से हटकर बहु विषयक शोध की ओर बढ़ने का आह्वान किया।

शोध ऐसा हो जिससे समाज, राष्ट्र और मानवीय कल्याण हो सके। प्रोफेसर अहलूवालिया ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शोध और विकास के लिए एक नए युग की शुरुआत करता है। यह नीति अकादमिक जगत में शोध और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कई आयामों को शामिल करती है। यह विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने में कारागार साबित हो सकती है यदि इस दिशा में सही तरीके से काम किया जाए। कुछ चुनौतियां जरूर हैं, लेकिन इन चुनौतियों से निपटने के लिए भी तैयार रहना चाहिए ताकि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य मजबूत हो और हर विद्यार्थी आत्मनिर्भर हों। यह तभी संभव है जब विद्यार्थियों और शिक्षकों के पास नए विचार और नवाचार हों।

पाठ्यक्रम को शोध के साथ जोड़ने से छात्रों को शोध कार्य में शामिल होने का अवसर मिलेगा। प्रो. आहलुवालिया ने कहा कि अंतरविषय और बहुविषय शोध से नए और नवाचारी समाधान प्राप्त हो सकते हैं। प्रो. अहलूवालिया ने बताया कि राष्ट्रीय शोध फाउंडेशन (एनआरएफ), यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन और कई शोध एजेंसियां शोध परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं, जिससे शोधकर्ताओं को अपने कार्य में मदद मिलती है लेकिन शोध परियोजना वर्तमान समय की मांग और विभिन्न सामाजिक, आर्थिक चुनौतियों से निपटने वाले हों।

प्रो. अहलूवालिया ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करता है, जिससे भारत को वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी और यह काम शिक्षण संस्थानों, शिक्षकों, शोधार्थियों और छात्रों को नए नवाचारों को बढ़ावा देकर समाज और राष्ट्र विकास के साथ साथ रोजगार सृजन में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत शोध और विकास के आयामों को बढ़ावा देने से भारत में शोध और नवाचार की संस्कृति को मजबूत करने में मदद मिलेगी। फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम के पहले चरण में एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के सभी संकायों के विभागाध्यक्ष, डीन और विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति 2020 की समन्वयक डॉ. देविका राणा भी उपस्थित रही।

Photo of author

Hills Post

हम उन लोगों और विषयों के बारे में लिखने और आवाज़ बुलंद करने का प्रयास करते हैं जिन्हे मुख्यधारा के मीडिया में कम प्राथमिकता मिलती है ।