सोलन: नौणी यूनिवर्सिटी में आज विश्व ओजोन दिवस मनाया गया। इस अवसर पर पर्यावरण विशेषज्ञों ने कहा कि ओजोन परत का ठीक होना इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण है कि जब दुनिया विज्ञान की बात सुनकर काम करती है, तो गंभीर पर्यावरणीय संकटों का भी हल किया जा सकता है।
यूनिवर्सिटी के पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में 1987 के ऐतिहासिक मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल को याद किया गया, जिसने ओजोन को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों पर रोक लगाई थी। विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर सतीश भारद्वाज ने अपने संबोधन में कहा कि आज ओजोन परत ठीक हो रही है क्योंकि दुनिया ने वैज्ञानिकों की चेतावनी पर ध्यान दिया। यह हमें अन्य वैश्विक पर्यावरणीय संकटों से निपटने के लिए भी प्रेरित करता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यदि वर्तमान नीतियां जारी रहीं, तो इस सदी के मध्य तक ओजोन परत पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएगी।

इस अवसर पर छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए विशेषज्ञ व्याख्यान, प्रश्नोत्तरी, नारा लेखन और पोस्टर मेकिंग जैसी कई प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। प्रतियोगिताओं में 80 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के अंत में एक जागरूकता रैली भी निकाली गई। पोस्टर मेकिंग में ईप्सा (प्रथम), रूप नंदिनी (द्वितीय), और तनिषा (तृतीय)। नारा लेखन में आँचल सोनी (प्रथम), अनुष्का (द्वितीय), और जौतलपुई (तृतीय)। प्रश्नोत्तरी में ‘स्ट्रैटोस्क्वाड’ टीम (विजेता) रही।
कार्यक्रम के आयोजकों ने छात्रों से ओजोन और जलवायु अनुकूल तकनीकों को अपनाने की अपील की ताकि इस सफलता को भविष्य में भी बरकरार रखा जा सके।