शिमला: हिमाचल प्रदेश को औद्योगिक निवेश का पसंदीदा गंतव्य बनाने और हिम MSME फेस्ट-2026 को ऐतिहासिक बनाने की दिशा में राज्य सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। आगामी 4 जनवरी 2026 को राजधानी शिमला के ऐतिहासिक होटल पीटरहॉफ में एक उच्चस्तरीय सीईओ इंटरेक्शन (CEO Interaction) यानी निवेश एवं औद्योगिक विकास के लिए रणनीतिक नेतृत्व संवाद का आयोजन किया जाएगा। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान की विशेष उपस्थिति में देश-विदेश के नामी उद्योगपति और कॉर्पोरेट जगत के दिग्गज एक मंच पर जुटेंगे।

उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि यह एक विशेष बंद-द्वार (Closed-door) संवाद सत्र होगा, जिसे बिजनेस-टू-गवर्नमेंट (B2G) प्लेटफॉर्म के रूप में डिजाइन किया गया है। इसमें फार्मास्यूटिकल्स, ग्रीन मोबिलिटी, खाद्य प्रसंस्करण, डेयरी, डेटा सेंटर्स और रक्षा जैसे प्रमुख व उभरते क्षेत्रों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO), प्रबंध निदेशक और प्रवर्तक हिस्सा लेंगे। इस संवाद का मुख्य उद्देश्य राज्य में निवेश के नए अवसरों, नीतिगत सरलीकरण, नियामक सुधारों और दीर्घकालिक औद्योगिक विकास की संभावनाओं पर सरकार और उद्योग जगत के बीच सीधा और सार्थक विचार-विमर्श करना है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (उद्योग) आर.डी. नज़ीम ने इस पहल को राज्य सरकार की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और निवेशक-केंद्रित नीति निर्माण के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि इस मंच के माध्यम से हिमाचल प्रदेश को एक भविष्य-सक्षम और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित किया जाएगा। संवाद के दौरान बड़े उद्योगों को स्थानीय एमएसएमई (MSME) सेक्टर के साथ जोड़ने, औद्योगिक क्लस्टर्स को विकसित करने और वैल्यू-चेन एकीकरण के अवसरों को तलाशने पर विशेष जोर दिया जाएगा, ताकि राज्य में समावेशी विकास सुनिश्चित हो सके।
उद्योग विभाग के निदेशक डॉ. यूनुस ने बताया कि यह कार्यक्रम केवल चर्चा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसमें ठोस नतीजों पर फोकस किया जाएगा। कार्यक्रम में उद्योगपतियों और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के बीच वन-टू-वन बैठकें होंगी, क्षेत्र-विशेष पर गोलमेज चर्चाएं आयोजित की जाएंगी और मौके पर ही समझौता ज्ञापनों (MoUs) व निवेश आशय घोषणाओं का आदान-प्रदान होगा। इस संवाद से प्राप्त सुझावों के आधार पर औद्योगिक नीतियों को और अधिक व्यावहारिक बनाया जाएगा, जिससे प्रदेश में एक सतत, तकनीक-आधारित और रोजगारोन्मुख औद्योगिक रोडमैप तैयार करने में मदद मिलेगी।