सोलन: शूलिनी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज, ई-युवा सेंटर और आईहब शूलिनी ने ई-सेल आईआईटी हैदराबाद के सहयोग से “फार्मास्युटिकल साइंसेज में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)” विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला और प्रमाणन कार्यक्रम का सफल आयोजन किया।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों को फार्मास्युटिकल विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में एआई को एकीकृत करने के लिए व्यावहारिक और वैचारिक ज्ञान से लैस करना था। यह आयोजन दो चरणों में विभाजित था, जिसमें पहला चरण शूलिनी यूनिवर्सिटी में प्रमाणन कार्यक्रम के रूप में संपन्न हुआ, जबकि दूसरे चरण में यहां से चयनित पांच छात्र आईआईटी हैदराबाद में होने वाली आगामी क्षेत्रीय प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करेंगे।

कार्यक्रम का शुभारंभ कुलाधिपति प्रो. पी.के. खोसला के संबोधन से हुआ, जिन्होंने शोध और अकादमिक उत्कृष्टता के लिए नई तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया। वहीं, शूलिनी यूनिवर्सिटी के नवाचार और विपणन अध्यक्ष प्रोफेसर आशीष खोसला ने “कृत्रिम बुद्धिमत्ता और स्वास्थ्य विज्ञान” विषय पर व्याख्यान देते हुए बताया कि कैसे एआई ने प्रोटीन संरचना की भविष्यवाणी, रोग निदान और दवा अनुसंधान की दिशा बदल दी है। स्कूल ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज के डीन और मुख्य समन्वयक डॉ. दीपक कुमार ने कार्यशाला के उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए कहा कि ये सत्र एआई-संचालित यौगिक निर्माण, रेट्रोसिंथेसिस और आधुनिक दवा खोज जैसे क्षेत्रों में छात्रों के कौशल को निखारेंगे।
तीन दिनों तक चली इस कार्यशाला में तकनीकी शिक्षा और व्यावहारिक अनुभव का अनूठा संगम देखने को मिला। इसमें दवा विकास में एआई की भूमिका, सटीकता और ‘रिस्पॉन्सिबल एआई’ जैसे विषयों पर चर्चा हुई। कार्यक्रम का समापन आईआईटी हैदराबाद में होने वाली क्षेत्रीय चैंपियनशिप के लिए पांच छात्रों के चयन की घोषणा के साथ हुआ। इस आयोजन को सफल बनाने में डॉ. अरुण कुमार, डॉ. रवीन चौहान, डॉ. निष्ठा सिंह, डॉ. शिखा महंत, डॉ. हिमांशु गांधी, ई-युवा केंद्र के समन्वयक डॉ. अभिषेक सिंह और परियोजना सहायक सुबोध कुमार ने अहम भूमिका निभाई। अंत में प्रो. दीपक कुमार ने आईआईटी हैदराबाद के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।