श्री रेणुका जी: मां-बेटे के पावन मिलन का प्रतीक छह दिवसीय अंतरराष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेला बुधवार को पारंपरिक देव विदाई के साथ संपन्न हो गया। समापन समारोह की अध्यक्षता राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने की। इस अवसर पर राज्यपाल ने रेणुका झील के देवघाट पर शुरू की गई दैनिक आरती की नई पहल की जमकर सराहना की और इस आध्यात्मिक परंपरा को भविष्य की पीढ़ियों के लिए जारी रखने का आह्वान किया।
समापन समारोह में शामिल होने से पहले, राज्यपाल ने भगवान परशुराम जी और माता रेणुका जी के मंदिरों में पूजा-अर्चना की। इसके बाद वे पारंपरिक ‘देव विदाई’ शोभायात्रा में भी शामिल हुए। उन्होंने मेले में विभिन्न सरकारी विभागों, स्वयं सहायता समूहों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा लगाए गए प्रदर्शनी स्टॉलों का भी दौरा किया और उनके काम में गहरी रुचि दिखाई।

आस्था और भक्ति का संगम है मेला
अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि यह मेला आस्था और भक्ति का संगम है। उन्होंने कहा कि यह मेला देशभर के लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है। उन्होंने देवघाट पर दैनिक आरती शुरू करने के लिए जिला प्रशासन और श्री रेणुका जी विकास बोर्ड की प्रशंसा की और स्थानीय आश्रमों से इस परंपरा को नियमित रूप से जारी रखने का आग्रह किया।
युवाओं से नशे से दूर रहने का आह्वान
राज्यपाल ने लोगों से रेणुका जी की सुंदरता और पवित्रता बनाए रखने के लिए सामूहिक प्रयास करने की अपील की। उन्होंने विशेष रूप से युवाओं से नशे से दूर रहने का आह्वान करते हुए कहा कि आइए हम सब मिलकर अपने गांवों को नशे के खतरे से मुक्त और सुरक्षित रखने का संकल्प लें।
ग्रीन फेयर के रूप में मनाया गया मेला
इससे पहले हिमाचल प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष और श्री रेणुका जी विकास बोर्ड के अध्यक्ष विनय कुमार ने राज्यपाल का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि इस वर्ष मेले को ग्रीन फेयर के रूप में मनाया गया, जिसमें पर्यावरण संरक्षण पर विशेष जोर दिया गया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने सर्वश्रेष्ठ विभागीय प्रदर्शनियों के लिए पुरस्कार भी वितरित किए। इसमें उद्योग विभाग को पहला, बागवानी विभाग को दूसरा और कृषि विभाग को तीसरा स्थान मिला।
समारोह में सांसद सुरेश कश्यप, उपायुक्त प्रियंका वर्मा, पुलिस अधीक्षक निश्चिंत नेगी और जिला प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारियों सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।