सोलन: राजकीय महाविद्यालय सोलन के अर्थशास्त्र विभाग द्वारा बुधवार को आयोजित विरासत-ई मुद्रा प्रदर्शनी इतिहास के पन्नों में झांकने का एक अनोखा माध्यम बनी। इस प्रदर्शनी में छात्रों और शिक्षकों को अकबर के शासनकाल से लेकर ब्रिटिश भारत तक की दुर्लभ मुद्राएं देखने को मिलीं।
प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण नंदन नामक छात्र द्वारा प्रदर्शित 1835 का चौथा आना रहा। तांबे के इस 190 साल पुराने सिक्के की बाजार में अनुमानित कीमत 50,000 से 3 लाख रुपये तक आंकी गई है, जिसे देखकर छात्र दंग रह गए। इसके अलावा अकबर के समय (963 ईस्वी) के हिजरी और इलाही तांबे के सिक्के भी विशेष आकर्षण का केंद्र रहे।

मुख्य अतिथि डॉ. अनंत विद्यानिधि और विभागाध्यक्ष प्रो. रेनू बाला की उपस्थिति में करीब 150 छात्रों ने इस प्रदर्शनी में भाग लिया। छात्रों ने 1961-67 के दौर के एक रुपये के सिक्के और अब चलन से बाहर हो चुके 2, 3, 5, 10 व 20 पैसे के एल्यूमीनियम और तांबे के सिक्कों को करीब से देखा। मुख्य अतिथि ने कहा कि ऐसी प्रदर्शनियां नई पीढ़ी को विमुद्रीकरण और राष्ट्र की मुद्रा के इतिहास को समझने में अहम भूमिका निभाती हैं।