सोलन: राजकीय महाविद्यालय सोलन में “उच्च शिक्षा के विभिन्न विषयों के पाठ्यक्रमों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और ऑटोमेशन का एकीकरण” विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय अंतरविषयी सम्मेलन का आज सफलतापूर्वक समापन हो गया। हाइब्रिड मोड में आयोजित इस प्रतिष्ठित सम्मेलन में शिक्षाविदों ने भविष्य की शिक्षा प्रणाली में तकनीकी बदलावों की अनिवार्यता पर गहन मंथन किया।

समापन समारोह में हिमाचल प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. सरबजोत सिंह बहल ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। सम्मेलन के दौरान महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. मनीषा कोहली ने शिक्षा के क्षेत्र में तकनीक के सार्थक और नैतिक उपयोग पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि समय की मांग को देखते हुए एआई (AI) को पाठ्यक्रमों का अभिन्न अंग बनाना अत्यंत आवश्यक है, ताकि विद्यार्थी वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार हो सकें।
सम्मेलन की एक प्रमुख विशेषता हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. महावीर सिंह और डॉ. जगदीश द्वारा प्रस्तुत शोध-सार रहा, जिसमें उन्होंने भौतिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अंतर्संबंधों को प्रभावी ढंग से रेखांकित किया। इसके अलावा, तकनीकी सत्रों में फेरुज़ अकबरोव, डॉ. अज़रा ताज़हिज़ी, डॉ. विष्णु गोपन, डॉ. शमेनाज़ बानो और डॉ. हेडी हबरा जैसे राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वक्ताओं ने भाषा, वाणिज्य, साहित्य और शिक्षा में एआई के विविध और व्यावहारिक उपयोगों पर अपने विचार साझा किए।
तीन तकनीकी सत्रों में विभाजित इस सम्मेलन में देश भर से लगभग 140 प्रतिभागियों ने सक्रिय सहभागिता की। दो दिनों तक चले विचार-विमर्श का निष्कर्ष यही निकला कि उच्च शिक्षा में एआई और ऑटोमेशन का समावेश अब विकल्प नहीं, बल्कि भविष्य की अनिवार्य आवश्यकता है। इसके माध्यम से ही शिक्षा को अधिक समावेशी, नवाचारी और प्रभावी बनाया जा सकता है।