HillsPost
    Facebook Twitter Instagram
    • परिचय
    • संपर्क करें :
    Facebook Twitter Instagram YouTube WhatsApp
    Monday, May 23
    HillsPostHillsPost
    Demo
    • होम पेज
    • हिमाचल
    • हिमाचल विशेष
    • राष्ट्रीय
    • खेल
    • टेक्नोलॉजी
    • राजनैतिक
    • क्राइम
    • दुर्घटनाएं
    • धार्मिक
    • स्वास्थ्य
    • अंतर्राष्ट्रीय
    HillsPost
    Home»राष्ट्रीय»हरमदवाहिनी का मिथ और यथार्थ
    राष्ट्रीय

    हरमदवाहिनी का मिथ और यथार्थ

    जगदीश्वर चतुर्वेदीBy जगदीश्वर चतुर्वेदीSeptember 19, 20109 Mins Read
    Facebook Telegram WhatsApp Twitter Pinterest LinkedIn Email
    Share
    WhatsApp Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    पश्चिम बंगाल में तमाम समाचार पत्रों में ‘हरमदवाहिनी’ के पदबंध का कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के खिलाफ दुष्प्रचार आम बात है। इस नाम से माओवादी-ममता और मीडिया के लोग माकपा को कलंकित करना चाहते हैं वे बार-बार मीडिया में यह प्रचार कर रहे हैं कि लालगढ़ इलाके में माकपा संचालित ‘हरमद वाहिनी’ के कैंप हैं। इनमें हथियारबंद गुण्डे रहते हैं जिनका काम है हत्या करना और ऐसे कैंपों की एक सूची माओवादियों के हमदर्दों द्वारा संचालित बेवसाइट ‘संहति’ पर उपलब्ध है।

    इस सूची में 86 कैंप के नाम हैं और इनमें भी इनमें कितने लोग हैं उनकी संख्या भी बतायी गयी है। यह पूरी सूची http://sanhati.com/articles/2716/  पर देख सकते हैं। समस्या यह है कि इन कैंपों को किस रूप में व्याख्यायित करें। माओवादियों के लिए ये माकपा के गुण्डाशिविर हैं और माकपा के हिसाब से ये माओवादी हिंसाचार के कारण बेघर हुए शरणार्थियों के कैंप हैं। सच क्या है इसके बारे में सिर्फ अनुमान ही लगा सकते हैं।

    सवाल उठता है किस कैंप में कितने गुण्डे हैं यह दावा माओवादी किस आधार पर कर रहे हैं ? क्योंकि इन इलाकों में मीडिया अनुपस्थित है। माओवादी इस प्रसंग में किस तरह मिथ्या प्रचार कर रहे हैं उसकी बानगी देखें, ‘संहति’ बेवसाइट की रिपोर्ट में कहा गया है कि The armed CPI(M) cadres, called locally as harmads, have been raiding villages, burning and looting houses, killing people, raping women and working closely with the joint forces in tracking down and killing leaders of the PCAPA, all in the name of regaining lost territory in the Lalgarh area.

    सारे देश के अखबार और स्थानीय अखबार भरे पड़े हैं कि विगत एक साल में माओवादियों ने किस तरह लालगढ़ में आतंक की सृष्टि की है और माकपा के सदस्यों और हमदर्दों की हत्याएं की हैं और उन्हें बेदखल किया है। माकपा के ऊपर खासकर ‘हरमद वाहिनी’ के नाम से हमले,लूटपाट,हत्या,औरतों के साथ बलात्कार आदि के जितने भी आरोप लगाए गए हैं वे सब बेबुनियाद हैं। एक साल में एक भी घटना ऐसी नहीं घटी है

    जिसमें माकपा के लोगों ने किसी पर भी लालगढ़ में एक भी हमला किया हो इसके विपरीत माओवादी हिंसाचार ,हत्याकांड और स्त्री उत्पीडन की घटनाएं असंख्य मात्रा में घटी हैं ।

    कोई भी व्यक्ति जो बांग्ला या अंग्रेजी बेवसाइट पढ़ सकता हो तो उसे लालगढ़ में माओवादी हिंसाचार की असंख्य घटनाओं की खबरें मिलेंगी। विगत एक साल से स्थानीय खबरों में भी माकपा के सदस्यों द्वारा किसी भी किस्म की हिंसा किए जाने की खबर नहीं आयी है।

    सवाल यह है माओवादी इसके बाबजूद सफेद झूठ क्यों बोल रहे हैं ? माओवादियों और ममता बनर्जी के पास माकपा या अर्द्ध सैन्यबलों के लालगढ़ ऑपरेशन के दौरान किसी भी किस्म के अत्याचार,उत्पीड़न आदि की जानकारी हो तो उसे अखबारों को बताना चाहिए, टीवी पर बताना चाहिए,अपने केन्द्र सरकार में बैठे गृहमंत्री को बताना चाहिए। कांग्रेस के द्वारा बिठाए गए राज्यपाल को बताना चाहिए। इनमें से किसी को भी ठोस प्रमाण देकर बताने की बजाय ममता बनर्जी और माओवादी मिलकर मिथ्या प्रचार अभियान चलाए हुए हैं कि माकपा के लालगढ़ में हथियारबंद गुण्डाशिविर लगे हैं और उन्हें हटाया जाए। जब तक माओवादी और ममता बनर्जी लालगढ़ में गुण्डागर्दी और उत्पीड़न के ठोस प्रमाण नहीं देते तब तक उनके आरोप को मिथ्या प्रचार की कोटि में ही रखा जाना चाहिए।

    दूसरी ओर माकपा ने यह कभी नहीं कहा कि उनके लालगढ़ में शिविर नहीं हैं। वे कह रहे हैं कि उनके शिविर हैं और इनमें माओवादी हिंसा के कारण शरणार्थी बने ग्रामीण रह रहे हैं। ममता बनर्जी जिन्हें गुण्डाशिविर कह रही हैं वे असल में शरणार्थी शिविर हैं ।

    दूसरी एकबात और वह यह कि लालगढ़ में माकपा को रहने का हक है या नहीं ? ममता और माओवादी चाहते हैं कि माकपा को लालगढ़ से बाहर किया जाए। इसके लिए जो भी करना हो वह किया जाए और इसी काम के लिए ममता बनर्जी ने माओवादी हिंसाचार और पुलिस संत्रास विरोधी कमेटी के हिंसाचार का खुला समर्थन किया है। ममता का मानना है माकपा को लालगढ़ से बाहर करने के लिए जो भी कर सकते हो करो ममता तुम्हारे साथ है। इस आश्वासन के साथ माओवादी दनादन हत्याएं कर रहे हैं और इन हत्याओं के बदले में वे ममता बनर्जी से संभवतः धन भी वसूल रहे हैं।

    ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और माओवादी संगठन मिलकर लोकसभा चुनाव के बाद से एक भी माकपा हमले की घटना का जिक्र नहीं कर रहे। यहां तक कि बांग्ला का कारपोरेट मीडिया जो अहर्निश माकपा विरोधी प्रचार में लगा रहता है वह भी एक भी ऐसी घटना रिपोर्ट पेश नहीं कर पाया है जिसमें लालगढ़ में माकपा ने हमला किया हो। अभी कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी तीन दिन के पश्चिम बंगाल दौरे पर आए हुए थे वे भी लालगढ़ पर चुप थे वे इसके पहले भी आए थे उस समय भी लालगढ़ पर चुप थे।

    यदि माकपा के लोग लालगढ़ में हमले कर रहे होते,बलात्कार कर रहे होते.उत्पीड़न कर रहे होते तो कहीं से तो खबर बाहर आती। लालगढ़ से साधारण लोग बाहर के इलाकों की यात्रा कर रहे हैं और प्रतिदिन सैंकड़ों-हजारों लोग यातायात करते हैं इसके बाबजूद भी माकपा के द्वारा लालगढ़ में अत्याचार किए जाने की कोई खबर बाहर प्रकाशित नहीं हुई है।

    यह सच है कि मीडिया पर लालगढ़ जाने पर रोक है। लेकिन ममता बनर्जी की लालगढ़ रैली में तो लाखों लोग आए थे। माओवादी भी आए थे। ममता बनर्जी ने माकपा के द्वारा लालगढ़ में सताए गए एक भी व्यक्ति को पेश नहीं किया। माओवादियों के दोस्त मेधा पाटकर और अग्निवेश भी मंच पर थे वे भी किसी उत्पीडित को पेश नहीं कर पाए। उन्हें वहां पर कोई रोकने वाला नहीं था। नंदीग्राम में जिस तरह तृणमूल कांग्रेस ने माकपा के अत्याचार के शिकार लोगों को मीडिया के सामने पेश किया था वैसा अभी तक लालगढ़ में वे नहीं कर पाए हैं। जब तक वे कोई ठोस प्रमाण नहीं देते तब तक लालगढ़ में ‘हरमद वाहिनी’ के नाम पर माकपा को बदनाम करने की कोशिश से कुछ भी हाथ लगने वाला नहीं है।

    अंत में , मेरी उपरोक्त बात रखने का यह अर्थ नहीं है माकपा संतों का दल है। जी नहीं माकपा एक संगठित कम्युनिस्ट पार्टी है। उसके पास एक विचाराधारा से लैस कैडरतंत्र है जो इस विचारधारा की रक्षा के लिए जान निछाबर कर सकता है। विचारधारा से लैस कैडर को पछाड़ना बेहद मुश्किल काम है। माकपा के पास गुण्डावाहिनी नहीं है लेकिन विचारधारा के हथियारों से लैस कॉमरेड हैं। विचारों के हथियार सचमुच के हथियारों से ज्यादा पैने-धारदार और आत्मरक्षा में मदद करने वाले होते है।

    दूसरी बात यह है कि माकपा के पास लंबे समय से पश्चिम बंगाल में हथियारबंद गिरोहों से आत्मरक्षा करने और लड़ने का गाढ़ा अनुभव है। यह अनुभव माकपा ने लोकतंत्र पर कांग्रेसियों और नक्सलों के हमलों से जूझते हुए हासिल किया है। माकपा भारत का एकमात्र राजनीतिक दल है जिसने लोकतंत्र की रक्षा के लिए हथियारों के हमले झेले हैं और जरूरी होने पर हथियारों से हमले किए हैं। लेकिन लोकतंत्र को बचाया है। 1972-77 का खूनी अनुभव और 1977 के बाद पश्चिम बंगाल में हिंसक हमलों में काम करते हुए लोकतंत्र का 35 सालों से सफल प्रयोग करने में माकपा को सफलता मिली है। लोकतंत्र और राजनीतिक दल के रूप में कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने आत्मरक्षा की जो मिसाल कायम की है वह बेजोड़ है।

    जिसे ‘हरमद वाहिनी ’ कहा जा रहा है वैसा संगठन कहीं पर भी अस्तित्व में नहीं है। इसका अर्थ यह नहीं है कि माकपा के साथ गुण्डे नहीं हैं,जी नहीं, अपराधियों का एकवर्ग माकपा के साथ भी है उनका माकपा के लोग सहयोग भी करते हैं। लेकिन लालगढ़ जैसे राजनीतिक ऑपरेशन को सफल बनाने में गुण्डे मदद नहीं कर रहे बल्कि कैडर काम कर रहे हैं और लोकतंत्र में माकपा को अपनी राजनीतिक जमीन बचाने और उसका विस्तार करने का पूरा हक है।

    लोकतंत्र कमजोरों का तंत्र नहीं है। ताकत का तंत्र है। वर्चस्व का तंत्र है। इस तंत्र पर वही सवारी कर सकता है जिसमें ताकत हो और वर्चस्व स्थापित करने की क्षमता हो। लालगढ़ में वर्चस्व की जंग चल रही है। इस जंग में लोकतंत्र के संरक्षक के रूप में माकपा अग्रणी कतारों में है इसलिए उस पर ही हमले सबसे ज्यादा हो रहे हैं।

    केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के द्वारा माओवाद के खिलाफ अभियान में माकपा ने लालगढ़ में जनता और पुलिसबलों के बीच में सेतु का काम किया है। कायदे से ममता बनर्जी के दल को यह काम करना चाहिए था,लेकिन वह जनता और पुलिसबलों के बीच में विरोधी की भूमिका अदा कर रही हैं। माओवाद या उग्रवादियों या आतंकवादियों या पृथकतावादियों के खिलाफ राज्य के अभियान में पुलिस या सेना को स्थानीय जनता की मदद स्थानीय राजनीतिक दलों के सहयोग से ही मिलती है और यदि कोई राजनीतिक दल लोकतंत्र की रक्षा में अपनी इस भूमिका को नहीं समझता तो वह राष्ट्र विरोधी की कतारों में रखा जाना चाहिए। हम उत्तर-पूर्व से लेकर कश्मीर तक राजनतिक दलों की भूमिका पर जरा एक नजर डालें तो सारी स्थिति तत्काल समझ में आ जाएगी।

    लालगढ़ में माकपा के लोग इसलिए नहीं मारे ता रहे कि वे माकपा के सदस्य हैं, इसलिए भी नहीं मारे जा रहे कि उनका माओवादियों या पुलिस संत्रास विरोधी कमेटी के लोगों से व्यक्तिगत पंगा है, यह इलाका दखल की लड़ाई भी नहीं है। यहां किसी किसान की जमीन का भी राज्य सरकार ने अधिग्रहण नहीं किया है। माकपा के कार्यकर्त्ता इसलिए मारे जा रहे हैं क्योंकि वे लालगढ़ के गांवों में लोकतंत्र को बचाने की कोशिश कर रहे हैं और लोकतंत्र की खातिर मारे जा रहे हैं। वे न तो गुण्डे हैं और न महज पार्टी मेम्बर हैं। वे लोकतंत्र के रक्षक हैं ।

    लोकतांत्रिक संरचनाओं और लोकतांत्रिक वातावरण पर लालगढ़ में जो हमला माओवादी कर रहे हैं उसका वे प्रतिवाद कर रहे हैं और लोकतंत्र को बचाना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है दुर्भाग्य की बात यह है कि ममता बनर्जी ने अपनी सारी शक्ति अंध कम्युनिस्ट विरोध में लगा दी है और इसके कारण वह माकपा की लोकतांत्रिक शक्ति को देख ही नहीं पा रही हैं।

    Share. WhatsApp Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    जगदीश्वर चतुर्वेदी

    Related Posts

    मुख्यमंत्री ने नई दिल्ली में आयोजित मीडिया महामंथन कॉन्क्लेव बात भारत की में भाग लिया

    May 22, 2022

    चूड़ेश्वर सेवा समिति विकासनगर ने सम्मान समारोह आयोजित किया

    May 22, 2022

    प्रधानमंत्री ने कान फिल्म महोत्सव की सफलता के लिए शुभकामनाएं दी

    May 17, 2022

    भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित किया

    May 14, 2022

    जय राम ठाकुर ने केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री से भेंट की

    May 11, 2022

    प्रधानमंत्री ने गुजरात के बनास डेयरी संकुल में कई परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित की

    April 19, 2022

    Leave A Reply Cancel Reply

    हिमाचल
    मंडी

    15 करोड़ की लागत से निर्मित की जा रही है संधोल-बरच्छवाड़ पेयजल योजना

    By संवाददाताMay 22, 2022

    मंडी: जलशक्ति, बागवानी, राजस्व एवं सैनिक कल्याण मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि धर्मपुर…

    24 मई तक जिला ऊना में तेज हवाएं और ओलावृष्टि की आशंका, सावधानी बरतें

    May 22, 2022

    धर्मपुर क्षेत्र के लिए 145 करोड़ रुपये की तटीकरण परियोजना स्वीकृत: ठाकुर

    May 21, 2022

    कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाएं ग्रामीण कलाकारों ने किया आहवान

    May 21, 2022
    • Facebook
    • WhatsApp
    • YouTube
    • Twitter
    • Pinterest
    • Instagram
    About us
    About us

    हिल्स पोस्ट हिमाचल प्रदेश से ऑनलाइन दैनिक समाचार, हम उन मुद्दों को परिभाषित करते का प्रयास करते है जिनकी हम एक समुदाय के रूप में परवाह करते हैं। हम उन कहानियों को ढूंढकर आपके सामने लाने का प्रयास करते हैं, जो बताती हैं कि हम कौन हैं | हम बाधाओं को तोड़ते हुए समुदायों को एक दूसरे के समीप लाते में प्रयासरत्त हैं।

    संपर्क के लिए ई मेल करें:

    Email us: [email protected]

    Recent

    मुख्यमंत्री ने नई दिल्ली में आयोजित मीडिया महामंथन कॉन्क्लेव बात भारत की में भाग लिया

    May 22, 2022

    15 करोड़ की लागत से निर्मित की जा रही है संधोल-बरच्छवाड़ पेयजल योजना

    May 22, 2022

    24 मई तक जिला ऊना में तेज हवाएं और ओलावृष्टि की आशंका, सावधानी बरतें

    May 22, 2022

    चूड़ेश्वर सेवा समिति विकासनगर ने सम्मान समारोह आयोजित किया

    May 22, 2022
    Recent Comments
    • सुरेंद्र सिंह चुनु रेणुका जी बड़ोंन on 1 किलो 453 ग्राम चरस के साथ एक गिरफ़्तार
    • Ajay Kumar Sood on विरोध के बाद श्री रेणुका जी से हटाया गया सेल्फी प्वाइंट
    • Tashi loctus kanam on कानम गांव की अपनी समृद्ध संस्कृति व रीति-रिवाज, संरक्षण की आवश्यकता : डीसी
    • rajesh on देश का हर नागरिक संसद से ऊपर
    • satyendra singh on गृह मंत्री और दिल्ली पुलिस पर मुकदमा करेंगे बाबा रामदेव
    Facebook Twitter Instagram Pinterest YouTube
    © 2022 NVO NEWS. Developed by DasKreative.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.