शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार ने अनाथ बच्चों को बेहतर भविष्य देने की अपनी पहल के तहत अब उन्हें प्रदेश के प्रतिष्ठित निजी स्कूलों में दाखिला दिलाना शुरू कर दिया है। ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ का दर्जा पाए इन बच्चों की शिक्षा से लेकर देखभाल तक की पूरी जिम्मेदारी सरकार उठा रही है।
सरकार की इस नई कड़ी में अब तक 15 बच्चों को बड़े निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया है। इनमें सोलन के पाइनग्रोव पब्लिक स्कूल में चार, शिमला के तारा हॉल स्कूल में तीन और दयानन्द पब्लिक स्कूल में आठ बच्चे शामिल हैं। सरकार का कहना है कि इसका उद्देश्य इन बच्चों को दूसरे विद्यार्थियों की तरह शिक्षा, खेलकूद और अन्य गतिविधियों में बराबर के अवसर देना है, ताकि वे खुद को किसी भी तरह से कम महसूस न करें।

यह कदम मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा शुरू की गई ‘मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना’ का हिस्सा है। इस योजना के तहत सरकार ने प्रदेश के सभी अनाथ बच्चों को गोद लिया है और 27 साल की उम्र तक उनकी पढ़ाई, सुरक्षा और देखभाल की पूरी जिम्मेदारी ली है।
शिक्षा के क्षेत्र में सरकार इन बच्चों के लिए और भी कई कदम उठा रही है। तकनीकी शिक्षा के लिए आईटीआई, पॉलीटेक्निक, इंजीनियरिंग और फार्मेसी जैसे सभी सरकारी और निजी संस्थानों में हर कोर्स में एक सीट अनाथ बच्चों के लिए आरक्षित की गई है। इसके अलावा, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए रोजगार से जुड़ी उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक मदद भी दी जा रही है।
यही नहीं, सरकार इन बच्चों को देश के ऐतिहासिक स्थलों और प्रमुख शहरों का भ्रमण भी करवा रही है, जिसमें हवाई यात्रा और थ्री-स्टार होटलों में ठहरने समेत सारा खर्च उठाया जा रहा है। सरकार के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है, जिसने अनाथ बच्चों के कल्याण और उन्हें सम्मानजनक जीवन देने के लिए एक विशेष कानून बनाया है।