हिमाचल में 260 गौसदनों में 21,360 बेसहारा गौवंश, सरकार दे रही 1200 रुपये प्रतिमाह प्रति पशु

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By पंकज जयसवाल

शिमला : हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में मंगलवार को बेसहारा गौवंश की समस्या को लेकर पांवटा साहिब के विधायक सुख राम चौधरी और बैजनाथ के विधायक किशोरी लाल ने सवाल उठाया। प्रश्न का उत्तर देते हुए कृषि एवं पशुपालन मंत्री ने प्रदेश में गौसदनों की संख्या, वित्तीय सहायता और आवारा पशुओं से जुड़ी घटनाओं का विस्तृत ब्यौरा सदन में प्रस्तुत किया।

मंत्री ने बताया कि प्रदेश में कुल 260 गौसदन कार्यशील हैं। इनमें से 15 सरकारी क्षेत्र में और 245 निजी क्षेत्र में संचालित हो रहे हैं। इन गौसदनों में इस समय 21,360 बेसहारा गौवंश को आश्रय प्रदान किया गया है। सरकार द्वारा गौसदनों को भरण-पोषण व देखभाल के लिए 1 जुलाई 2025 से प्रत्येक गौवंश पर 1200 रुपये प्रति माह की सहायता दी जा रही है।

बेसहारा गौवंश

उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में आयोजित 20वीं पशुगणना के अनुसार प्रदेश में 36,311 गौवंश सड़कों पर घूम रहे थे। वहीं 21वीं पशुगणना का कार्य वर्ष 2025 में पूर्ण कर लिया गया है। इसके आंकड़े भारत सरकार द्वारा जारी किए जाने हैं। आंकड़े आने के बाद ही वर्तमान स्थिति का सटीक पता चल पाएगा।

सरकार ने बेसहारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए वर्ष 2019 में हिमाचल प्रदेश गौवंश संरक्षण एवं संवर्धन अधिनियम, 2018 के तहत गौसेवा आयोग का गठन किया था। आयोग के माध्यम से कई योजनाएं लागू की गई हैं।

शराब की प्रत्येक बोतल पर 2.50 रुपये का गौवंश सेस वसूला जा रहा है, जिससे प्राप्त राशि गौसदनों पर खर्च की जा रही है। “गोपाल योजना” के अंतर्गत गौसदनों को प्रति गौवंश 1200 रुपये प्रति माह अनुदान दिया जा रहा है। इस मद में अब तक 65.35 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।

निजी क्षेत्र में नए गौसदनों की स्थापना हेतु 10 लाख रुपये और विस्तार के लिए 5 लाख रुपये तक की सहायता दी जाती है। इस दिशा में अब तक 40.04 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इसके अतिरिक्त सात नए गौसदनों का निर्माण कार्य चल रहा है। इनके पूर्ण होने पर सड़कों पर घूम रहे पशुओं को चरणबद्ध तरीके से वहां भेजा जाएगा।

पशुपालन विभाग ने किसानों द्वारा पाले जा रहे सभी गौवंश की टैगिंग सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा पंचायती राज (संशोधन) अधिनियम, 2006 के तहत पशुपालकों को अपने गौवंश का पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। पशुओं को आवारा छोड़ने पर ग्राम पंचायत द्वारा पहली बार 500 रुपये और बार-बार अपराध पर 700 रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है।

मंत्री ने स्वीकार किया कि आवारा पशु खेती को नुकसान पहुँचा रहे हैं और लोगों की जान के लिए भी खतरा बने हुए हैं। 1 जनवरी 2024 से 31 जुलाई 2025 तक बिलासपुर, कांगड़ा, देहरा, कुल्लू, मंडी और सिरमौर जिलों में आवारा बैलों के हमलों में कुल 9 मामले सामने आए। इनमें पांच लोग घायल हुए, जबकि चार लोगों की मौत हो गई।

सरकार ने माना कि बेसहारा गौवंश की समस्या केवल हिमाचल प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में बड़ी चुनौती बन चुकी है। इसके स्थायी समाधान के लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ सामाजिक, धार्मिक और गैर सरकारी संगठनों की भागीदारी भी आवश्यक है। निजी गौसदनों की बढ़ती संख्या इसी जन सहयोग का परिणाम है।

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पंकज जयसवाल

पंकज जयसवाल, हिल्स पोस्ट मीडिया में न्यूज़ रिपोर्टर के तौर पर खबरों को कवर करते हैं। उन्हें पत्रकारिता में करीब 2 वर्षों का अनुभव है। इससे पहले वह समाज सेवी संगठनों से जुड़े रहे हैं और हजारों युवाओं को कंप्यूटर की शिक्षा देने के साथ साथ रोजगार दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।