शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार ने नशे के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज करते हुए एक सख्त कानून पारित किया है, जिसमें नशीली दवाओं के तस्करों के लिए मृत्युदंड और आजीवन कारावास जैसे कठोर प्रावधान शामिल हैं। यह कदम सरकार की उस दोहरी रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत एक तरफ अपराधियों पर नकेल कसी जाएगी और दूसरी तरफ नशे की लत से जूझ रहे युवाओं के पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
तस्करों पर अब तक का सबसे कड़ा प्रहार
सरकार ने ‘हिमाचल प्रदेश संगठित अपराध (रोकथाम एवं नियंत्रण) विधेयक, 2025’ पारित किया है। इस नए कानून के तहत नशा तस्करी में शामिल लोगों को मौत की सजा, आजीवन कारावास, 10 लाख रुपये तक का जुर्माना और अवैध रूप से अर्जित की गई संपत्ति को जब्त करने का प्रावधान है। इसका उद्देश्य नशा माफिया की कमर तोड़ना है।

पुनर्वास और जागरूकता पर भी जोर
सरकार केवल सजा पर ही नहीं, बल्कि सुधार पर भी काम कर रही है। इसी कड़ी में, सिरमौर जिले के कोटला बड़ोग में 5.34 करोड़ रुपये की लागत से 100 बिस्तरों वाला एक अत्याधुनिक नशा मुक्ति केंद्र बनाया जा रहा है। इसके अलावा, मंडी, लाहौल-स्पीति, चंबा, सोलन और सिरमौर में पांच नए केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य संस्थानों में परामर्श के लिए 108 नए ‘दिशा केंद्र’ भी खोले गए हैं।
जागरूकता अभियान के तहत अब तक 5.76 लाख से अधिक लोगों को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जा चुका है, जिसमें 5,600 से ज्यादा गांवों और 4,300 शिक्षण संस्थानों को कवर किया गया है।
सरकार ने दवा कंपनियों पर निगरानी के लिए उपमंडलाधिकारी (SDM) के नेतृत्व में एक विशेष समिति बनाने का भी निर्णय लिया है, ताकि नशीली दवाओं के लाइसेंस का दुरुपयोग रोका जा सके।