ऊना: सौर संचालित कूड़ा संयंत्र प्लांट स्थापित करने वाला ऊना हिमाचल प्रदेश का पहला जिला बना है। ऊना विधानसभा की ग्राम पंचायत अजौली में 12.49 लाख रूपए की राशि व्यय करके 32 किलो वाट क्षमता का रूफ टॉप सोलर प्लांट से संचालित होने वाले कूड़ा संयंत्र प्लांट स्थापित किया गया है। अजौली पंचायत में ठोस एवं तरल कूड़ा संयंत्र प्लांट लगने से लगभग 3 हज़ार लोगों को इस सुविधा का लाभ मिल रहा है।
विकास खंड अधिकारी ऊना रमनबीर चौहान ने बताया कि ग्राम पंचायत अजौली में ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन के तहत प्रत्येक घर से निकलने वाले तरल कचरे की निकासी के लिए भूमिगत नालियों की सुविधा से जोड़ा गया है। वहीं ठोस कचरे के लिए पंचायत में दो-दो कचरे के डिब्बे उपलब्ध करवाएं गए है, जिनमें कूड़े को अलग-अलग करके छोटे वाहनों के माध्यम से कूड़ा संयंत्र प्लांट में लाया जाता है। यहां इंसनिरेटर और प्लास्टिक श्रेडर लगाया गया है। साथ ही प्लांट में 500 किलो क्षमता का कम्पोस्टर भी लगाया गया है, जिसमें पंचायत से एकत्रित कूड़े को डाल कर खाद तैयार की जाती है।
कूड़ा संयंत्र प्लांट से बनने वाली खाद को सीएसके पालमपुर से प्रमाणित किया गया है, जिसमें एनपीके कम्पोनेंट उच्च गुणवत्ता के पाए गए हैं। इसके अलावा सैनेटरी नैपकिन को इंसनिरेटर और प्लास्टिक कूडे़ के लिए श्रेडर लगाया गया है। रमनबीर कूड़ा संयंत्र प्लांट को रूफ टॉप सोलर प्लांट के माध्यम से संचालित करने से महीने में 12-15 हज़ार रूपये की बिजली की बचत होगी। कूड़ा संयंत्र प्लांट के स्थापित होने से अजौली पंचायत दूसरी पंचायतों के लिए स्वच्छ पंचायत के रूप में एक मॉडल बनकर उभरी है।
वहीं ग्राम पंचायत अजौली के प्रधान संदीप कपिला बताते हैं कि पंचायत घर में ही ठोस कचरा प्रबंधन प्लांट लगाया गया है, जिसमें एक प्लास्टिक श्रेडर, इंसनीरेटर और दो कम्पोस्टर मशीनें लगाई गई हैं। कूड़ा संयंत्र मे स्थापित श्रेडर के माध्यम से एकत्रित किए गए प्लास्टिक कूड़े से प्लास्टिक दाना बनाया जाता है, जो पीवीसी की पाइपें तैयार करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। इंसनीरेटर में सैनेटरी पैड को नष्ट किया जाता है और कम्पोस्टर में गीले व सूखे कचरे से खाद बनाई जाती है, जिसकी गुणवत्ता उच्च है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 5 किलो और 10 किलो की पैकिंग में खाद उपलब्ध है। स्थानीय किसान व बागवान कूड़ा संयंत्र से निर्मित खाद का प्रयोग कर लाभान्वित हो रहे हैं। पहले कूड़ा संयंत्र को चलाने के लिए बिजली की लागत 12-13 हजार रुपए प्रतिमाह आती थी, लेकिन सोलर प्लांट लगने से इस धनराशि की बचत हो रही है तथा पंचायत को कूड़ा संयंत्र के संचालन में अच्छी सुविधा मिल रही है। इसके लिए संदीप कपिला ने जिला प्रसाशन ऊना और प्रदेश सरकार का धन्यवाद किया।
पंचायत के प्रत्येक वार्ड से एकत्रित कचरे को कूड़ा संयंत्र प्लांट तक ले जाने के लिए तीन कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं, जो प्रतिमाह 50 रूपये प्रति घर से शुल्क लेते हैं। पहले पंचायत के विभिन्न स्थानों पर कूड़ा-कचरा देखने को मिलाता था लेकिन प्लांट लगने से अजौली पंचायत स्वच्छ पंचायत बनी है और अब सौर चलित कूड़ा संयंत्र पर्यावरण संरक्षण का ध्वजवाहक भी बना है।