ज्वालामुखी: प्रदेश में सरकार भाजपा की हो व काम स्थानीय विधायक मंत्री रमेश धवाला के चहेते का हो भला किसी की क्या हिम्मत वह उसमें रोडा डाले । चाहे कानून कायदे कुछ भी कहते रहें। ऐसा ही एक मामला ज्वालामुखी सिनियर सेकेंडरी स्कूल के लिये बनी प्रबंधन कमेटी को लेकर पेश आया है।
सरकारी स्कूलों मे स्कूल प्रबन्धन कमेटीयों में अध्यक्ष पद पर भी राजनीति हावी होने लगी है। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है। स्कूल से प्राप्त जानकारी के मुताबिक वर्ष 2011- 2012 के लिए सीनियर सैकेन्डरी स्कूल ज्वालामुखी में स्कू ल प्रबन्धन कमेटी अध्यक्ष विमल चौधरी को बनाया गया है वर्ष 2010 -11 में भी विमल चौधरी ही स्कूल प्रबन्धन कमेटी के अध्यक्ष इसी स्कूल में रहें है। बताया जा रहा है कि विमल चौधरी स्थानीय विधायक के खास हैं व ज्वालामुखी भाजपा के महासचिव।
हैरान परेशान आज स्कूल परिसर में इस संवाददाता को बताया कि उनके बच्चे सीनियर सैकेन्डरी स्कूल ज्वालामुखी के छात्र है। उन्होने हैरानी जताते हुए कहा की की पिछले वर्ष इसी स्कूल में विमल चौधरी का बच्चा पढा है लेकिन इस बार बर्ष 2011- 2012 उनका कोई भी बच्चा स्कूल में दाखिल नही है। स्वयं स्कूल प्रबन्धन इस बात को स्वीकार रहा है।
कांग्रेस नेता अशोक गौतम ने बताया कि नियम के मुताबिक स्कूल प्रबन्धन समिति के अध्यक्ष पद के लिए जो भी दावेदार होता है उस स्कूल में उस अभिभावक का बच्चा दाखिल होना बेहद जरुरी है। दूसरी स्थिति में संरक्षक के तौर पर भी बात बन सकती है यदि उस बच्चे का कोई भी माता पिता ना हो। हालात यह है की सरकारी स्कूलों में पढने वाले सैकडो बच्चो के अभिभावको मे से अन्य किसी को भी अभिभावक अध्यक्ष पद के लिए पात्र नही है।
लेकिन नियम कायदे को दरकिनार करते हुये ज्वालामुखी में विमल चौधरी का कोई भी बच्चा इस स्कूल में नही दाखिल है। और नियमो को ताक पर रखकर दोबारा उन्हे ही स्कूल प्रबन्धन समिति के अध्यक्ष पद पर बनाया गया है है की स्कूल प्रबन्धन की मिली भगत के बिना यह कैसे संभव है। क्योकी जब भी स्कूल प्रबन्धन का चुनाव करवाया जाता है तो स्कूल प्रबन्धन का कर्तव्य बनता है की यह सुनिश्चित करे की जो अभिभावक उस समय हाउस में मौजूद है उनके बच्चे स्कू ल में दाखिला लिए हुए हैं या नही।
अभिभावको ने बताया की स्कू ल में पढाई करवाने से ज्यादा अध्यापक राजनीति को तवज्जो देते है। व यहां भी ऐसा हुआ स्कूल प्रिंसिपल ने अपने तबादले को रूकवाने के लिये यह कमाल कर दिखाया। सवाल उठाया जा रहा है कि जब स्कूल में अध्यक्ष का कोई भी बच्चा नही है तो अध्यक्ष पद पर स्कूली प्रशासन ने कैसे उन्हे बना दिया। गुपचुप तरीके से चुनाव करवाया गया है जिसमें कुछ स्कूली अध्यापको की मिली भगत का भी अंदेशा है।
अभिभावको ने पी सोनम शिक्षा उपनिदेशक से अध्यक्ष पद को निरस्त करने की मांग की है। और मामले की जांच कर दौबारा चुनाव करवाए जाने के लिए भी कहा है। स्कूल प्रिसिंपल आरती सूद ने माना की स्कू ल प्रबन्धन समिति के अध्यक्ष विमल चौधरी का कोई भी बच्चा स्कूल में दाखिल नही है।