पालमपुर: हिमाचल प्रदेश में अब खेती की तस्वीर बदलने वाली है। चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर ने किसानों की आय दोगुनी करने और खेती को और अधिक टिकाऊ बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल की है। विश्वविद्यालय ने “हाइड्रोपोनिक्स” यानी बिना मिट्टी के खेती करने की आधुनिक तकनीक पर एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया है।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) द्वारा वित्त पोषित इस कार्यक्रम का उद्घाटन कुलपति प्रोफेसर नवीन कुमार ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, “हाइड्रोपोनिक्स भविष्य की खेती है। इस तकनीक से हम न केवल पानी जैसे बहुमूल्य संसाधनों को बचा सकते हैं, बल्कि साल के हर महीने सब्जियों का उत्पादन कर सकते हैं। यह हमारे युवाओं और प्रगतिशील किसानों के लिए उद्यमिता के नए दरवाजे खोलेगी।”
किसानों ने सीखा बिना मिट्टी के चेरी टमाटर और शिमला मिर्च उगाना
सब्जी विज्ञान और पुष्प विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित इस प्रशिक्षण में 20 चयनित किसानों को हाइड्रोपोनिक तकनीक का व्यावहारिक ज्ञान दिया गया। परियोजना के प्रमुख अन्वेषक, प्रोफेसर परवीन शर्मा और उनकी टीम ने किसानों को दिखाया कि कैसे बिना मिट्टी के पोषक तत्वों से भरपूर पानी के घोल में चेरी टमाटर, शिमला मिर्च और लेट्यूस जैसी महंगी फसलों को सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है।
प्रशिक्षण में भाग ले रहे किसानों ने इस नई तकनीक में गहरी रुचि दिखाई। उन्होंने इसे पानी की कमी वाले क्षेत्रों के लिए एक वरदान और अपनी आय बढ़ाने का एक शानदार अवसर बताया। यह पहल न केवल खेती में नई तकनीक को बढ़ावा देगी, बल्कि बाजार में साल भर ताजी सब्जियों की उपलब्धता भी सुनिश्चित करेगी।