आगामी वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी होगा हिमाचलः मुख्यमंत्री

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By Hills Post

शिमला: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शुक्रवार सायं राजकीय डेंटल कॉलेज, शिमला में आयोजित इंटर कॉलेज समारोह ‘इरप्शन-2025’ की अध्यक्षता की। इस अवसर पर अपने कॉलेज के दिनों को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कॉलेज दिनों में वह एससीए अध्यक्ष रहे। आज की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को देखकर उन्हें अपने समय की याद आ गई। फर्क केवल इतना है कि आज विद्यार्थियों की भागीदारी अधिक है। विद्यार्थी जीवन में सपने देखना स्वाभाविक है लेकिन डिग्री के उपरांत जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार रहना भी अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ईमानदारी, मेहनत और संकल्प से जीवन में सफलता हासिल की जा सकती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने सरकारी स्कूल में शिक्षा ग्रहण की और उनका एक साधारण परिवार से सम्बंध है। ऐसे ही सामान्य परिवेश से निकलकर आज उन्हें राज्य की सेवा का अवसर मिला है। मुख्यमंत्री बनने के समय राज्य पर 75 हजार करोड़ रुपये के कर्ज और कर्मचारियों की देनदारी के 10 हजार करोड़ का बोझ था। प्रदेश को कर्ज मुक्त करने के लिए प्रदेश सरकार ‘व्यवस्था परिवर्तन’ का ध्येय मानकर कार्य कर रही है। 

उन्होंने कहा कि प्रदेश की बागडोर संभालने के उपरांत हमने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था का आकलन किया तो पाया कि पूर्व सरकार के कुप्रबंधन के कारण वर्ष 2021 में शिक्षा गुणवत्ता के मामले में हिमाचल प्रदेश 21वें स्थान पर था। पूर्व भाजपा सरकार ने चुनावी लाभ के लिए सैंकड़ों घोषणाएं कीं लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हुआ। वर्तमान प्रदेश सरकार ने विद्यार्थियों को पूर्व सरकार के गलत निर्णयों से बचाने के लिए एक हजार स्कूलों का विलय किया और विद्यार्थियों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई सुधार लागू किए।

कक्षा पहली से ही अंग्रेजी माध्यम शुरू करने के अलावा शिक्षकों और मेधावी विद्यार्थियों को एक्सपोजर विजिट के लिए विदेश भ्रमण पर भेजा जा रहा है। विरोध के बावजूद प्रदेश सरकार ने डायरेक्टरेट ऑफ स्कूल एजुकेशन की स्थापना की। इन प्रयासों से हिमाचल अब गुणवत्ता शिक्षा के क्षेत्र में 21वें स्थान से 5वें स्थान पर पहुुंच गया है, लेकिन हमारा लक्ष्य सर्वश्रेष्ठ स्थान पर पहुंचना है।

ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि आगामी वर्ष से राज्य में 10 राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल शुरू हो जाएंगे और हिमाचल जल्द ही शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनकर उभरेगा। प्रदेश सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने की दिशा में भी निरंतर कार्य कर रही है ताकि प्रदेशवासियों को राज्य में ही गुणवत्तायुक्त चिकित्सा सेवाएं सुनिश्चित हो सकें और ईलाज के लिए अन्य राज्यों में जाने की आवश्यकता न पड़े। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार चिकित्सा महाविद्यालयों के उन्नयन पर 1100 करोड़ खर्च कर रही है। यह बहुत प्रसन्नता की बात है कि प्रदेश के एआईएमएसएस चमियाणा में पहली रोबोटिक सर्जरी मशीन स्थापित की गई है। इसी प्रकार राज्य के अन्य चिकित्सा महाविद्यालयों में भी रोबोटिक सर्जरी की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि आगामी तीन माह के भीतर प्रदेश के चिकित्सा महाविद्यालयों में पैट स्कैन और 3-टेक्सला एमआरआई मशीनें स्थापित की जाएंगी। एक वर्ष के भीतर     चिकित्सा क्षेत्र में विशेष परिवर्तन देखने को मिलेंगे। 

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने एमडी डाक्टरों का स्टाइपेंड 60 हजार रुपये से एक लाख रुपये कर दिया है और सुपर स्पेशेयलिटी डॉक्टरों के स्टाइपंड में भी आशातीत बढ़ोतरी की है। उन्होंने कहा कि एमडी करने वाले डेंटल डॉक्टरों को स्टाइपंड भी इसी आधार पर बढ़ाया जाएगा।

वित्तीय अनुशासन की आवश्यकता पर बल देते हुए मुख्य मंत्री ने कहा कि पिछली भाजपा सरकार ने प्रदेश के संसाधनों का दुरूपयोग किया जबकि वर्तमान सरकार प्रत्येक पैसे की बचत कर विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. (कर्नल) धनीराम शांडिल ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम प्रतिभा प्रदर्शित करने और व्यक्तित्व विकास का अवसर प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि आज का युवा हमारे देश का भविष्य है। मुख्य मंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार ने अनाथ बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ दि स्टेट के रूप में अपनाया है, ताकि उनकी देखभाल और शिक्षा सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा कि अनाथ बच्चों के लिए कानून बनाने वाला हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है। मुख्य मंत्री सभी को अपने परिवार का सदस्य मानते हैं।

उन्होंने सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने वाले विद्यार्थियों को 5 लाख रूपये की राशि देने की घोषणा की। इस अवसर पर विधायक हरीश जनारथा, कॉलेज प्राचार्य डा. आशु भारती, कॉलेज स्टॉफ और विद्यार्थी उपस्थित थे।

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