शिमला: भाषा, कला एवं संस्कृति तथा पर्यटन विभाग की प्रधान सचिव श्रीमती मनीषा नंदा ने कहा कि प्रदेश के आठ स्मारकों को राज्य के संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है। इस बारे में प्रदेश सरकार ने 22 जून, 2010 को प्राथमिक अधिसूचना जारी की है जिसे 25 जनू, 2010 को प्रदेश के राजपत्र में प्रकाशित किया गया है। यह अधिसूचना हिमाचल प्रदेश प्राचीन एवं ऐतिहासिक संस्मारक एवं पुरातत्वीय स्थल एवं अवशेष अधिनियिम, 1976 के अंतर्गत जारी की गई है। इन प्रस्तावित स्मारकों को राज्य संरक्षित स्मारक घोषित करने से पहले हितबद्ध/इच्छुक व्यक्तियों से दो माह के भीतर अपनी आपत्तियां मांगी गईं हैं। अगर कोई आपत्तियां प्राप्त होती हें तो सरकार इन पर विचार करेगी और इसके पश्चात् ही अंतिम अधिसूचना जारी की जाएगी।
श्रीमती मनीषा नंदा ने कहा कि भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश हिंदू सार्वजनिक धार्मिक संस्थान एवं पूर्व विन्यास अधिनियम, 1984 तथा हिमाचल प्रदेश प्राचीन और ऐतिहासिक संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1976 के तहत कार्य कर रहा है। पहले पहले अधिनियम के तहत उन हिंदू धार्मिक संस्थानों का अधिग्रहण किया जाता है जिनमें वित्तीय कुप्रबंधन की शिकायत हो और दूसरा अधिनियम पुरातत्विक संपदा से संबंधित है जिसका हिंदू मंदिरों के प्र्रंबधन से कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को देव भूमि के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहां प्रत्येक गांव में कम से कम एक हिंदू मंदिर विद्यमान है जिनमें लोगांे की प्रगाढ़ आस्था है। लोगांे की धार्मिक आस्था को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की आर्थिक सहायता अथवा लोगांे के दान से मंदिर बनाए जा रहे हैं। प्रदेश के युवा यहां के मंदिरों के निर्माण एवं रख-रखाव के लिए आगे आ रहे हैं क्यांेकि उनकी कला, संस्कृति एवं धर्म में गहरी रुचि है। उन्होंने कहा कि विभाग राज्य के धरोहर स्मारकों को चिन्हित करने के प्रयास कर रहा है। प्रदेश में लगभग 98 प्रतिशत मंदिर पुरातत्व महतव के हैं जबकि लगभग दो प्रतिशत पुराने भवन और किले हैं। विभाग इन्हें भी मंदिरों की सूची में शामिल करने पर विचार करेगा जबकि कमलाह किले को इस सूची में शामिल किया गया है जहां विभाग का स्टाफ पिछले
श्रीमती मनीषा नंदा ने कहा कि अधिकतर मंदिरों में पुरासम्पदा के रूप में बहुमूल्य मूर्तियां एवं अन्य पुराकृतियां विद्यमान हैं जिनकी सुरक्षा आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अधिनियम के अनुसार, मंदिरों की पूजा एवं अन्य परंपराओं को प्रभावित नहीं किया जाएगा न ही इनमें चढ़ने वाले चढ़ावे को सरकार लेगी।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता से पूर्व ब्रिटिश सरकार ने भी प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 के तहत मंदिरों का स्मारक के रूप में संरक्षण प्रदान किया था। स्वतंत्रता के उपरांत भी प्राचीन संस्मारक एवं पुरातत्वीय स्थल एवं अवशेष अधिनियिम, 1958 के अंतर्गत मंदिरों को संरक्षण प्रदान किया जा रहा है।
श्रीमती नंदा ने कहा कि इस समय भारत सरकार के पास प्रदेश के 40 स्मारक बतौर राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक हैं जिनमें मणिमहेश मंदिर, भरमौर, श्री चामुंडा देवी मंदिर चम्बा टाउन, कोटला किला नुरपूर, रॉक कट मंदिर मसरूर काम्पलैक्स, हिडिंबा देवी मंदिर मनाली, नरबदेश्वर मंदिर टिहरा सुजानपरु, अर्द्धनारेश्वर मंदिर मंडी शहर, ताबो गांेपा काजा, वायसरीगल लॉज राष्ट्रपति निवास शिमला तथा ममनग्रह मंदिर पच्छाद आदि प्रमुूख हैं। उन्होंने कहा कि 40 स्मारकों में से 27 मंदिर हैं।