आवारा कुत्तों पर बहस के बीच सोलन कॉलेज में सुरक्षा और सह-अस्तित्व पर चर्चा

Photo of author

By Hills Post

सोलन: देश में आवारा कुत्तों से जुड़ी चिंताओं और सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देशों पर चल रही बहस के बीच, सोलन कॉलेज के प्राणीशास्त्र विभाग ने एक सराहनीय पहल की है। विभाग ने 22 सितंबर के दिन डॉगमैटिक्स नामक एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम में छात्रों ने इंसानों की सुरक्षा और पशुओं के अधिकारों के बीच संतुलन बनाने पर एक सार्थक संवाद प्रस्तुत किया।

डॉ. मंजू ठाकुर के मार्गदर्शन में हुए इस कार्यक्रम का सबसे खास हिस्सा बीएससी अंतिम वर्ष के छात्रों का पैनल विमर्श रहा। इस चर्चा में छात्रों ने एक तरफ जहां लोगों की सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को उठाया, वहीं दूसरी तरफ जानवरों के अधिकारों की भी पुरजोर वकालत की। बातचीत का अंत इस व्यावहारिक समाधान पर हुआ कि कॉलेज परिसर में मौजूद आवारा कुत्तों की देखभाल की जाए और उनका टीकाकरण सुनिश्चित किया जाए, ताकि छात्रों और स्टाफ की सुरक्षा भी बनी रहे और पशुओं के साथ भी कोई क्रूरता न हो।

कार्यक्रम में बीएससी द्वितीय वर्ष के छात्रों सिमरन, विवेक और पतंजलि ने अपनी प्रस्तुति के माध्यम से बताया कि इंसानों और कुत्तों का रिश्ता सदियों पहले कैसे शुरू हुआ। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि आज विदेशी नस्ल के कुत्तों का क्रेज क्यों बढ़ गया है और भारतीय नस्लें उपेक्षित क्यों हो गई हैं।

इस अवसर पर विशेष अतिथि के तौर पर मौजूद पशु अधिकार कार्यकर्ता श्वेता शर्मा ने छात्रों से कुत्तों के काटने और रेबीज जैसी गंभीर बीमारी से बचाव के तरीकों पर चर्चा की। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि, प्राचार्या डॉ. मनीषा कोहली ने कहा कि यह प्रयास समाज को इंसानों की सुरक्षा और आवारा कुत्तों की दशा, दोनों पहलुओं पर गंभीरता से सोचने के लिए प्रेरित करेगा। उन्होंने छात्रों द्वारा प्रस्तुत संतुलित दृष्टिकोण की सराहना की।

Photo of author

Hills Post

हम उन लोगों और विषयों के बारे में लिखने और आवाज़ बुलंद करने का प्रयास करते हैं जिन्हे मुख्यधारा के मीडिया में कम प्राथमिकता मिलती है ।