जीत
भीतरी तहों में कुछ पसर रहा है, हमसे अनकहा
त्वचा के अंदर भी उसकी उपस्थिति अघोषित है
जीवन के समस्त रूप-प्रत्यय नाटकीय स्वार्थों की
सघन झाड़ियों में उलझे मशीनी देवताओं से संवाद
नहीं करना चाहते, स्पष्टत: कटे-छँटे शरणार्थी
प्राचीन या अनित्य ग्रामों से हमारे अवसरवादी
चाहनाओं में फँसे पगलाकर ढूँढ़ रहे हैं
एक मेजबान एक जीवनरक्षक नाव
अचानक ही वह कला, जिसे हम एकटक तकते रहे थे, की बजाय व्यक्ति चिह्नित किए जा रहे हैं और चर्च की पावन पारदर्षिता दागदार हो गई है
क्रूर नीले, बैंगनी बेलबूटों, संक्षिप्त पीले रंग में सनी
एक सुंदर गाँठ
औरतें
मेरी तीन बहनें काली शीशे-सी चमकीली
लावे की चट्टानों पर बैठी हैं।
पहली बार, इस रोशनी में, मैं देख सकती हूँ वे कौन हैं।
मेरी पहली बहन शोभा-यान्ना के लिए अपनी पोशाक सिल रही है।
वह एक पारदर्शी महिला की तरह जा रही है
और उसकी सभी शिराएँ देखी जा सकेंगी।
मेरी दूसरी बहन भी सिल रही है,
उसके हृदय की फाँक को जो कभी पूरी तरह नही भरा,
अन्तत:, वह आशान्वित है, उसकी छाती का यह कसाव ढीला होगा।
मेरी तीसरी बहन लगातार देख रही है
समुद्र में सुदूर पश्चिमी छोर तक फैली गाढ़ी-लाल पपड़ी को।
उसके मोजे फट गए हैं फिर भी वह सुंदर है।
शक्ति
पृथ्वी पर जीवित होना इतिहास में संचित होना है
आज एक विशालकाय यन्ना ने धरती के पार्श्व को
टुकड़ा-टुकड़ा खोल दिया है
गहरे पीले रंग की एक शीशी पिछले सौ वर्षों से उपचार
कर रही है ज्वर या खिन्नता का, एक औषधि है
इस मौसम की सर्दियों में यहाँ मौजूद प्राणियों के लिए।
आज मैं मेरी क्यूरी के बारे में पढ़ रही थी:
वह ज़रूर जानती रही होगी कि वह किरणों के
विकिरण से अस्वस्थ हो गई है
सालों उसकी देह ने इस तत्व की बम वर्षा को झेला था
उसने स्वच्छ कर दिया था
ऐसा जान पड़ता है उसने अंत को नकार दिया था
उसकी ऑंखों में हुए मोतियाबिंद के स्रोत को
उँगलियों के कोरो की चटकन और मवाद को
यहाँ तक कि वह टेस्ट टयूब या पेंसिल पकड़ने
में भी असमर्थ हो गई
वह मर गई, एक ख्यातिलब्ध स्त्री नकारती रही
अपने घावों को
नकारती रही
अपने घावों को जिनका उद्गम वहीं से हुआ था जहाँ से उसकी अजस्र शक्ति का।
हमारा समूचा जीवन
हमारा समूचा जीवन जायज़
मामूली झूठों का अनुवाद हैं
और अब असत्यों की गाँठ स्वयं को
ही निरस्त करने के लिए कुतर रही है
शब्द ही शब्द को डँस रहे हैं
सारे अभिप्राय जलती मशाल की
लपटों में बदरंग हो गए हैं
वे सभी बेजान चिट्ठियाँ
जो उत्पीड़कों की भाषा में अनूदित थीं
डॉक्टर को अपनी पीड़ा बताने की कोशिश
करते अल्जीरियन की भाँति हैं
जो अपने गाँव से हल्के मखमली
कंबल में लिपटा
सम्पूर्ण दग्ध देह के साथ दर्द से
घिरा चला आया है
और उसके पास बयान के लिए कोई शब्द नहीं है
सिवाय खुद के।
( प्रसिद्ध स्त्रीवादी लेखिका एंड्रीनी रिच की अंग्रेजी कविताओं का अनुवाद,अनुवादिका- विजया सिंह, रिसर्च स्कॉलर, कलकत्ता वि.वि,विद्यालय,कोलकाता)