ओ. एन. जी. सी. का टीहरी प्रोजेक्ट बन्द

ज्वालामुखी: ज्वालामुखी से सटे टीहरी में हाल ही में स्थापित प्रोजेक्ट बीच अधर में ही बन्द हो गया। हालांकि यहां खुदाई भी हुई लेकिन इसे एक हजार मीटर पर रोक दिया गया है। ओ एन जीसी ने इस काम का ठेका गुजरात की कंपनी दीवान चन्द को दिया था। कंपनी को यहां दो सेक्टर में काम करना था। इसके लिये करीब चार साल तक यह काम होना था। दूसरे कुयें की खुदाई कंपनी को पांच हजार मीटर तक करनी थी लेकिन यहां बीच अधर में ही कंपनी काम छोड गई। जिससे मामला विवाद में घिर गया है। कंपनी ने ज्वालामुखी में बाकायदा अपना कैंप आफिस भी खोल रखा था। व कुछ स्थानीय लोगों को भी नौकरी पर रखा था। लेकिन कंपनी ने काम करने वाले कई लोंगों को वेतन तक नहीं दिया है। व मैनेजर पिछले तीन महीनों से लापता हैं।

टीहरी के पंचायत प्रधान वजीर सिंह ने आरोप लगाया कि ओ एन जी सी व दीवान चंद के अधिकारियों की आपसी मिली भगत की वजह से ही प्रोजेक्ट को बीच अधर में बंद कर दिया गया है। इसमें करोडों रूपये का गोलमाल हुआ है। जिसकी जांच होनी चाहिये। उन्होंने साफ किया कि जब तक यहां खुदाई दोबारा शुरू नहीं होती तब तक टीहरी के लोग रिग को यहां से जाने नहीं देंगे। कांग्रेस नेता संजय रत्न ने कहा कि वह इस मामले पर चुप्प नहीं बैठेंगे। निगम ने जे एम आई 1 में 1387.80 मीटर, जेएम आई 2 में 2547.46 मीटर , जे एम आई 3 में 3940.00 मीटर, रामशहर 1में 2648.00 मीटर, बल्ह 1 में 4474.00 मीटर खुदाई हुई व बाद में बग्गी में 6.720 मीटर, नूरपूर के लंज में 4835 मीटर व चंगरतलाई में 4800 मीटर खुदाई हुई । विडम्बना का विषय है कि किसी भी स्थल पर निर्धारित लक्ष्य पूरा नहीं किया गया ।

यही वजह है कि दो साल पहले बग्गी में एकाएक गैस का रिसाव होने लगा था । इस घटना में इलाके के खासा बवाल खड़ा हो गया था । लेकिन ओ एन जी सी के फ्रंटयिर बेसिन के जनरल मैनेजर डी के पांडेय ने यहां आकर इसे अच्छा संकेत बता दावा किया था कि यहां गैस प्रचुर मात्रा में है । लेकिन आठ – दस दिनों में हालात बदल गए व निगम ने इसे बन्द करने का फैसला ले लिया । लेकिन इस साल बीते सप्ताह से बग्गी के तेल कुंए में फिर गैस का रिसाव हो रहा है व यहां इन दिनों ज्वलनशील पदार्थ निकल रहा है । तेल भवन में हुई इस राजनीति को लेकर यहां तरह – तरह के सवाल उठ रहे हैं । लेकिन निगम के अधिकारी मुंह खोलने को तैयार नहीं । जिससे सारा मामला संदेह के दायरे में आ गया है । जिससे लोगों में भी आक्रोश है । ओ एन जी सी खुद दावा करती रही है कि जम्मू कशमीर व हिमाचल प्रदेश में व्यापक तौर पर तेल व प्राकृतिक गैस है । लेकिन नब्बे के दशक में जम्मू के मानसर प्रोजेक्ट व हिमाचल के ज्वालामुखी प्रोजेक्ट को बन्द कर पूरे एन आर बी सी को ही खत्म कर दिया गया , जिससे प्रदेश के हितों पर तुशारापात हुआ है । भले ही अब फंटियर बेसिन का सृजन किया गया हो लेकिन इससे हिमाचल को क्या हासिल हो पायेगा, इसका अनुमान इसी बात से लग जाता है कि पिछले नौ सालों में हिमाचल के हिस्से सर्वेंक्षण ही आए । लेकिन तेल अन्वेषण में तेल भवन तंगदिल ही रहा ।

हांलाकि सुन्दरनगर के ढाबण में खुदाई भी हुई, लेकिन वहीं भी ओ एन जी सी लापरवाह रही । जिससे कई महीने कार्य ही बन्द करना पड़ा । यहां कार्य अभी हाल ही में बन्द हो चुका है । बाद में हमीरपुर के पास डंगार में कार्य चला लेकिन वहां भी निगम को कोई खास सफलता नहीं मिली ।