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कर्मचारियों को पंजाब के बराबर नया वेतन मान दे हिमाचल

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मंडीः अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय सचिव पवन मिश्रा एवं हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ ने आज जारी किए एक बयान में कहा कि प्रदेश सरकार को हिमाचल के कर्मचारियों को पंजाब के बराबर इनिशियल स्टार्ट के साथ नया वेतनमान दे्ना चाहिए। मंडी में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए पवन मिश्रा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने बहुत सी राहतें कर्मचारियों को दी हैं जिसमें अंतर जिला स्थानांतरण को 13 वर्ष से 5 वर्ष का किया गया है। कॉन्ट्रैक्ट पीरियड 2 वर्ष किया गया, नए वेतनमान को लागू करना भी एक बहुत बड़ी राहत है। उसके लिए हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ सरकार का आभार व्यक्त करता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ द्वारा उठाए गए बहुत से मसले हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाई पावर कमेटी को निर्णय करने के लिए भेजे हैं। इन्होंने सरकार से एसएमसी और कंप्यूटर शिक्षकों के लिए स्थायी नीति बनाने की मांग भी उठाई है। छठे पे कमिशन की बात करते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब और हिमाचल प्रदेश की वेतन विसंगतियों को तुरंत प्रभाव से खत्म किया जाए और पंजाब में 2011 के रिवीजन की वजह से और प्रोबेशन पीरियड की वजह से या राइडर की वजह से और हिमाचल प्रदेश में 4-9-14 की वजह से जो विसंगतियां पैदा हुई है उनको प्राथमिकता के आधार पर दूर किया जाए ताकि पे कमीशन का लाभ सभी कर्मचारियों को बराबर रूप से मिले।

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पवन मिश्रा ने हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ द्वारा उठाए गए अन्य 12 मसलों का भी जिक्र किया जो हाई पावर कमेटी को भेजे गए हैं, जिनमें वर्ष 2010 से पहले नियुक्त स्नातक अध्यापकों को पदोन्नति में मुख्य अध्यापक और प्रधानाचार्य बनने की दोनों ऑप्शन बहाल करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि भाषा अध्यापकों व शास्त्री अध्यापकों को टीजीटी का दर्जा देने की घोषणा सरकार पहले ही कर चुकी है अब सरकार अपनी घोषणा के अनुसार उनको टीजीटी का दर्जा दे। उन्होंने कहा कि लेक्चरर पदनाम पर किसी प्रकार की विसंगति नहीं होनी चाहिए और एक ही नाम से प्रवक्ता पाठशालाओं में स्थापित होने चाहिए। इसके लिए 1986 के आर एन्ड पी रूल्स को बहाल किया जाए। 2004 से पूर्व की पेंशन योजना बहाल की जाए क्योंकि आज के समय में जो लोग सेवानिवृत्त हो रहे हैं उनको नाम मात्र रुपए पेंशन के रूप में प्राप्त हो रही है जो बड़ा ही भद्दा मज़ाक है।