कांगड़ा में प्रस्तावित केन्द्रिय यूनिवर्सिटी को लेकर भाजपा व कांग्रेस आमने सामने

ज्वालामुखी: कांगड़ा जिला के देहरा में प्रस्तावित केन्द्रिय यूनिवर्सिटी खुलने से पहले ही बीच मंझधार में फंस गई है। हालांकि सरकार का पूरा जोर है कि यह फिलवक्त ज्वालामुखी के यात्रि निवास में खोल दी जाये। इसी मकसद से राजस्थान यूनीर्सिटी के पूर्व वी सी फुरकान कमर का दौरा ज्वालामुखी में हो चुका है। हिमाचल में प्रस्तावित केन्द्रिय यूनिर्विसटी के नये वी सी हाल ही में नियुक्त हुये हैं। व उन्होंने अपना कार्यभार भी संबम्भाल लिया है। संस्थान के नये वाईस चांसलर की तैनाती सरकार ने कुछ दिन पहले ही की थी। इससे पहले वी सी के पद पर आर सी सोबती तैनात हुये थे। लेकिन आर सी सोबती का पंजाब प्रेम हिमाचल पर भारी पड़ा था। सोबती पंजाब यूनिबर्सिटी के वाईस चांसलर हैं। व उनका कार्यकाल जुलाई में खत्म होना था। लेकिन केन्द्र सरकार ने उन्हें देहरा में तैनात किया बल्कि उनका कार्यकाल 2012 तक भी बढ़ा दिया। लेकिन सोबती महोदय हिमाचल आना नहीं चाहते थे। उन्होंने साफ तौर पर देहरा आने में मना कर दी थी। उनकी मनाही ने हिमाचल के सपनों को एक ही पल में धराशायी कर दिया । सोबती का पंजाब से मोह नहीं छूट पा रहा है। लिहाजा वह हिमाचल नहीं आना चाहते। जिससे इस संस्थान के देहरा में खुलने को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इस मामले में पहले ही राजनिति हो रही है। मौजूदा सरकार जहां इसे देहरा में खोलने की हिमायती है। तो कांग्रेस सांसद चन्द्र कुमार आज भी दावा कर रहे हैं कि यह यूनिवर्सिटी धर्मशाला में ही खुलेगी। हालांकि तैयारियों के मुताबिक कुछ दिन नये वाईस चांसलर के दफतर ज्वालामुखी के यात्रि निवास में खोला जाना था। इसके लिये पूरी तैयारियां कर ली गई थी।

सोबती की त्तैनाती के आदेशों के बाद ज्वालामुखी व देहरा में सरकारी अमला सक्रिय था। सोबती को हाल ही में केन्द्र सरकार ने पदम श्री से नवाजा है। व पंजाब यूनिवर्सिटी से उनका गहरा नाता रहा है। 35 साल के लंबे कार्यकाल में उन्होंने कई उतार चढ़ाव देखे। पंजाब रत्न सोबती को जानने वाले आज भी उन्हें सम्मान व पूरी श्रद्घा से देखते हैं। करीब 250 रिसर्च पेपर व करीब दस पुस्तकें वह लिख चुके हैं। काबिले गौर है कि प्रो0 सोबती को अपनी नयी नियुक्ति का आभास पहले ही था। यही वजह है कि उन्होंने पिछले दिनों अपने कुछ खास मित्रों के माध्यम से इलाके का सर्वेक्षण कराया था। लेकिन सुविधाओं की कमी की वजह से ही नये वी सी ने देहरा से कन्नी काटने का फैसला ले लिया। हालांकि प्रदेश सरकार ने यहां तमाम सुविधायें देने की हामी भरी थी। साथ ही ज्वालामुखी के यात्रि निवास व पर्यटन निगम के होटल ज्वालाजी की आपशन भी दी गई लेकिन सोबती साहब का पंजाब प्रेम सब पर भारी रहा था। अब फुरकान कमर भी सोबती की राह पर चल पडे हैं।

कमर साहब भी सोबती से कहीं भी कम नहीं हैं। उनका लंबा अनुभव रहा है। वह योजना आयोग में रहे हैं। व अब केन्द्रिय यूनिवर्सिटी में नये वी सी के तौर पर अपनी पारी की शुरूआत करने से पहले हिमाचल में आकर ठोक बजाकर सब व्यस्थायें देखना चाहते थे। लेकिन बताया जा रहा है कि उनको ज्वालामुखी रास नहीं आ रहा आया है। हालांकि उन्होंने इस मामले में कुछ भी बोलने से मना किया है। लेकिन बताते हैं कि कमर साहब को सबसे अधिक कमी रेल हवाई यातायात की खली है। कांगड़ा में केन्द्रिय यूनिवर्सिटी कहां खुलती यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। लेकिन इसकी स्थापना को लेकर भाजपा व कांग्रेस आमने सामने है। हालांकि सत्तारूढ़ दल पूरी तरह देहरा में इसे खोलने की हिमायत कर रहा है। लेकिन देहरा में इसे खोलना भी आसान नहीं है। देहरा में भले ही जमीन उपलब्ध हो। लेकिन सरकार को यहां मूलभूत सुविधायें जुटाने में ही कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। फिलवक्त इस मुद्दे पर पर कांगड़ा की राजनिति गरमा गई है।

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