नाहन: बीते दिनों नाहन आदर्श केंद्रीय कारागार में कैदी पिटाई मामले में अदालत व जिला प्रशासन के आदेश व एफआईआर लिखे जाने के बाद चौथा दिन बीत जाने के बावजूद भी पीडित का मेडिकल नहीं करवाया गया, जिसके चलते विभाग द्वारा बरती जा रही लापरवाही व ढीले रवैये के बीच जूझ रहे कैदी रविदत्त के परिजन इंसाफ की तलाश में प्रशासनिक कार्यालयों के चक्कर काटते रहे। जानकारी के अनुसार सजायाफता कैदी रविदत्त की आदर्श केंद्रीय कारागार नाहन में पहले ही दिन धोंस जमाने व गुंडागर्दी के चलते जेल कर्मियों ने पिटाई कर डाली थी, जिसकी खबर मिलते ही उक्त कैदी के परिजनों ने अदालत में याचिका तथा वहां से मिले आदेशों के बाद पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई थी।
यही नहीं उक्त मामले में जिला न्यायधीश ने भी मेडिकल करवाए जाने को लेकर आदेश जारी किए थे लेकिन लगातार प्रकाश में रहने व विभागीय रवैये के चलते तमाम कार्रवाई कोई रंग न दिखा पाई। रविदत्त के परिजन हर जगह इंसाफ की दुहाई मांग रहे है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है तथा घायल कैदी के मेडिकल में जानबूझ कर विलंभ किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इसी प्रकार वर्ष 1994 में भी एक अन्य कैदी रामरतन के साथ मारपीट की घटना के बाद उसने आत्महत्या कर ली थी, तथा विभागीय कछुआ प्रणाली व सबूतों के अभाव में जेल कर्मचारी बेदाग बच गए थे। मानवाधिकार एवं न्याय की अपील करते हुए उन्होंने पीडित का मेडिकल तथा निष्पक्ष कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि यदि इस प्रकार की शारीरिक व मानसिक प्रताडना के चलते उक्त घायल कैदी को कुछ हो जाता है तो तमाम जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी। उधर एसएचओ थाना सदर नाहन गुरबक्ष सिंह ने बताया कि पुलिस कार्रवाई की जा रही है तथा शीघ्र ही पीडित का मेडिकल करवा लिया जाएगा।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री सरवीण चौधरी ने कहा कि उक्त मामले में निष्पक्ष जांच की जाएगी तथा शीघ्र ही स्थिति का पता लगाकर दोषी पाए जाने पर संवैधानिक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
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लेखन के लिये “उम्र कैदी” की ओर से शुभकामनाएँ।
जीवन तो इंसान ही नहीं, बल्कि सभी जीव जीते हैं, लेकिन इस समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, मनमानी और भेदभावपूर्ण व्यवस्था के चलते कुछ लोगों के लिये मानव जीवन ही अभिशाप बन जाता है। अपना घर जेल से भी बुरी जगह बन जाता है। जिसके चलते अनेक लोग मजबूर होकर अपराधी भी बन जाते है। मैंने ऐसे लोगों को अपराधी बनते देखा है। मैंने अपराधी नहीं बनने का मार्ग चुना। मेरा निर्णय कितना सही या गलत था, ये तो पाठकों को तय करना है, लेकिन जो कुछ मैं पिछले तीन दशक से आज तक झेलता रहा हूँ, सह रहा हूँ और सहते रहने को विवश हूँ। उसके लिए कौन जिम्मेदार है? यह आप अर्थात समाज को तय करना है!
मैं यह जरूर जनता हूँ कि जब तक मुझ जैसे परिस्थितियों में फंसे समस्याग्रस्त लोगों को समाज के लोग अपने हाल पर छोडकर आगे बढते जायेंगे, समाज के हालात लगातार बिगडते ही जायेंगे। बल्कि हालात बिगडते जाने का यह भी एक बडा कारण है।
भगवान ना करे, लेकिन कल को आप या आपका कोई भी इस प्रकार के षडयन्त्र का कभी भी शिकार हो सकता है!
अत: यदि आपके पास केवल कुछ मिनट का समय हो तो कृपया मुझ “उम्र-कैदी” का निम्न ब्लॉग पढने का कष्ट करें हो सकता है कि आपके अनुभवों/विचारों से मुझे कोई दिशा मिल जाये या मेरा जीवन संघर्ष आपके या अन्य किसी के काम आ जाये! लेकिन मुझे दया या रहम या दिखावटी सहानुभूति की जरूरत नहीं है।
थोड़े से ज्ञान के आधार पर, यह ब्लॉग मैं खुद लिख रहा हूँ, इसे और अच्छा बनाने के लिए तथा अधिकतम पाठकों तक पहुँचाने के लिए तकनीकी जानकारी प्रदान करने वालों का आभारी रहूँगा।
http://umraquaidi.blogspot.com/
उक्त ब्लॉग पर आपकी एक सार्थक व मार्गदर्शक टिप्पणी की उम्मीद के साथ-आपका शुभचिन्तक
“उम्र कैदी”