सोलन: डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा किसानों के बीच मौसम-आधारित कृषि सलाह सेवाओं के प्रसार प्रणाली को सुदृढ़ करने पर एक हितधारक बैठक का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (SRLM), शिमला के सहयोग से आयोजित किया गया।

बैठक में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM), नई दिल्ली, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के वैज्ञानिक डॉ. शेष कुमार गरोशी, SRLM शिमला के अधिकारी, और सोलन जिला से आए पशु सखी और कृषि सखी जैसे जमीनी स्तर के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस पहल में पर्यावरण विज्ञान विभाग के संकाय सदस्यों सहित कुल 45 प्रतिभागियों ने सहभागिता की।
इस अवसर पर विभागाध्यक्ष एवं बैठक समन्वयक डॉ. एस. के. भारद्वाज ने मौसम-आधारित कृषि सलाहों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि समय पर सलाहों से फसल उत्पादन में 20–25% तक वृद्धि संभव है। उन्होंने बताया कि विभाग का लक्ष्य आधुनिक आईसीटी टूल्स के माध्यम से छह जिलों के प्रत्येक किसान तक पहुंच बनाना है। डॉ. पूर्णिमा मेहता ने मेघदूत ऐप और व्हाट्सएप जैसे मोबाइल प्लेटफार्मों के माध्यम से किसानों को खेत स्तर पर निर्णय लेने में सहयोग देने के तरीकों की जानकारी दी। डॉ. शेष कुमार गरोशी ने किसानों की क्षमता निर्माण के लिए भविष्य में और सहयोग की आवश्यकता जताई और बताया कि किसानों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए धनराशि शीघ्र ही विभाग को प्रदान की जाएगी।
SRLM की कुसुम ने जमीनी कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण हेतु नियमित कार्यशालाएं आयोजित करने का सुझाव दिया। वहीं NRLM की टीम ने भी इस विचार का समर्थन करते हुए, संरचित क्षमता निर्माण कार्यक्रमों की आवश्यकता पर बल दिया ताकि ग्रामीण आजीविका में स्थायी सुधार सुनिश्चित हो सके। यह बैठक वैज्ञानिक सलाहों को किसानों तक पहुंचाने के प्रयासों को नई दिशा देती है, जिससे एक जलवायु सहनशील और उत्पादनशील कृषि प्रणाली का निर्माण हो सकेगा।