किसान परम्परागत बीजों का संरक्षण करें: प्रताप

नाहन: कृषि विज्ञान केन्द्र सिरमौर की वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक आज यहां आयोजित की गई। पिछली छमाही में किए गए कार्यों की समीक्षा व आने वाले छः महीनों में किए जाने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करने के लिए इस बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, चौसकु हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, प्रदेश के विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ प्रगतिशील किसानों ने भी बैठक में भाग लिया।

वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यातिथि विश्वविद्यालय के उप-कुलपति डॉ0 तेज प्रताप ने किसानों से आग्रह किया कि वे आधुनिक व वैज्ञानिक खेती के लिए कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केन्द्रों व अनुसंधान केन्द्रों से सत्त सम्पर्क बनाए रखें। उन्होंने प्रदेश के किसानों से आग्रह किया कि वे परम्परागत बीजों का संरक्षण करें क्योंकि प्रदेश की पारम्परिक फसलों के देसी बीज लुप्त हो रहे हैं। हाईब्रिड(संकर) बीज के उपर अत्यधिक निर्भरता तेजी से हो रहे मौसमी बदलाव व घटती कृषि योग्य जमीन जैसे मुद्दे विचारणीय है। उन्होंने किसानों को व्यापक स्तर पर जैविक खेती अपनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि पशुओं में बांझपन और बार-बार के गर्भाधान की समस्याओं के निराकरण के लिए विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किए गए खनिज लवण मिश्रण अपनाने को कहा।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के क्षेत्रीय परियोजना निदेशक डॉ0 अशोक बरूला ने कहा कि प्रदेश में किसानों के विकास व उत्थान से जुड़े विभाग कृषि विज्ञान केन्द्रों को तकनीक हस्तांतरण में सक्रिय सहयोग दें।

विश्वविद्यालय के प्रसार निदेशक डॉ0 अमरीक सिंह सैनी ने विश्वविद्यालय में चल रही विभिन्न प्रसार गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किसानों की समस्याएं क्षेत्र विशेष में अलग हैं इसलिए सचल समस्याएं निवारण सुविधा शुरू की गई है।

शौध निदेशक डॉ0 विपिन सूद ने कहा कि प्रदेश की कुछ फसलों जैसे मक्की की देशभर में बहुत मांग है, किसानों को चाहिए कि वे तय करें की कौन सी फसलों के पारम्परिक बीजों को संरक्षित करना है।

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