शिमला: हिमाचल प्रदेश में हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव के बाद से सियासी संकट पैदा हो गया है। कांग्रेस नेतृत्व हिमाचल प्रदेश के सियासी संकट को टालने के प्रयास में तो लगा है, लेकिन विक्रमादित्य के इस्तीफा देने के बाद से राजनीति और गरमा गई है। हालांकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू आश्वस्त नजर आ रहे हैं, लेकिन सरकार पर मंडरा रहा खतरा अभी टला नहीं है।
पार्टी सूत्रों की मानें तो विक्रमादित्य सिंह अपने समर्थकों सहित मुख्यमंत्री सुक्खू को बदलने को लेकर किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। विक्रमादित्य पिछले कल चंडीगढ़ में कांग्रेस के बागी पूर्व विधायकों से मिलने के बाद दिल्ली चले गए, देर शाम विक्रमादित्य सिंह ने अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल से कांग्रेस का नाम और PWD मंत्री हटाकर “हिमाचल का सेवक” लिखा। हालांकि विक्रमादित्य सिंह का अगला कदम क्या होगा, अभी सस्पेंस बना हुआ है।
पार्टी सूत्रों की मानें तो विक्रमादित्य सिंह अपने पिता वीरभद्र सिंह की सियासी विरासत को लेकर दुविधा में हैं। इन परिस्थियों में उनके पास दूसरा विकल्प एक अन्य पार्टी “कांग्रेस वीरभद्र” जैसी नई पार्टी का एलान करना संभव हैं। हाल ही में विक्रमादित्य सिंह ने मुख्यमंत्री सुक्खू के नेतृत्व पर सवाल खड़े किए हैं, विक्रमादित्य सिंह ने दिवंगत पिता और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का अनादर करने का आरोप भी लगाया था। विक्रमादित्य सिंह के नजदीकी लोगों की माने तो विक्रमादित्य लोकनिर्माण विभाग में मुख्यमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप से भी खासे नाराज हैं।
अपने पिता वीरभद्र सिंह की विरासत को बनाए रखने के लिए विक्रमादित्य क्या निर्णय लेते है, यह अभी देखना होगा। प्रतिभा सिंह की नाराजगी भी अब किसी से छिपी नही है, प्रतिभा सिंह का यह कहना कि मुख्यमंत्री ने एक वर्ष से अधिक समय बीतने के बाद भी विधायकों की मांगों पर कोई ध्यान नही दिया, अनेक सवाल खड़े करता है। आने वाले दिनों में यह देखना रोचक होगा कि विक्रमादित्य क्या निर्णय लेते है? क्या मुख्यमंत्री सुक्खू इस सियासी संकट से निकलने में कामयाब होंगे या नहीं?