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गुरू पूर्णिमा के अवसर पर भक्तिमय रस में डूबा नाहन

नाहन: श्री गुरू पूर्णिमा के दिन नाहन शहर हरे कृष्णा-हरे कृष्णा, कृष्णा-कृष्णा, हरे-हरे हरे राम-हरे राम, राम-राम, हरे-हरे के स्वर से भक्तिमयरस में सायं 7 बजे तक डूबा रहा। 338 वर्ष प्राचीन उत्तर भारत के एक मात्र भगवान श्री जगन्नाथ मंदिर से श्री जगन्नाथ जी, सुभद्रा व बलराम जी की पालकी जैसे ही मंदिर से बाहर से चौगान मैदान मैदान के लिए भव्य रथ में अरूढ होने के लिए बाहर निकली, तो श्रद्धालुओं का उनके दर्शन के लिए हजूम उमड पडा। सुबह से ही श्री जगन्नाथ मंदिर में श्रद्वालुओं का तांता लगा रहा। श्री जगन्नाथ मंदिर से श्री जगन्नाथ, बलराम व सुभद्रा की पालकियों को बैंड बाजों व ढोल के साथ-साथ क्लश यात्रा के साथ चौगान मैदान तक लाया गया जहां पर भव्य रथ में उन्हें विराजमान किया गया। विराजमान करने के बाद उन्हें 56 प्रकार के भोग लगाए गए तथा उनकी पूजा की गई, उसके बाद उपायुक्त सिरमौर पदम सिंह चौहान ने रथयात्रा को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। रथयात्रा के दौरान जहां एक ओर जहां श्रद्धालु श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा को खिंच रहे थे तो वहीं क्या बच्चे, बूढे व महिलाएं राधे-राधे पर झूम कर नाच रही थी। रथयात्रा के दौरान कहीं रास लीला तो कहीं डांडिया, 101 क्लशों को सर पर रखे महिलाओं की शोभायात्रा, हर कोई अपने-अपने रंग में रंगा हुआ था। रथयात्रा में शामिल मधुबन ऋषिकेश से आए भक्ति योग स्वामी जी ने यथयात्रा में शामिल भक्तजनों को हरे कृष्णा-हरे कृष्णा, कृष्णा-कृष्णा, हरे-हरे हरे राम-हरे राम, राम-राम, हरे-हरे के स्वरों से सरोबोर किया। रथयात्रा में शामिल हुए विभिन्न धर्मों के लोगों ने भी भगवान श्री जगन्नाथ, सुभद्रा व बलराम के आगे नतमस्तक हुए तथा सिख समुदाय के लोगों ने गुरूद्वारे के आगे पालकी का स्वागत किया साथ मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपनी मस्जिद के आगे यथयात्रा का स्वागत किया।

इस दौरान मधुबन ऋषिकेश से आए भक्ति योग स्वामी जी ने कहा कि श्री जगन्नाथ जी बहुत कृपालु हैं तथा कई सैकडों वर्ष पहले उनका आगमन नाहन शहर में हुआ था। स्वामी जी ने कहा कि श्री जगन्नाथ रथयात्रा जगन्नाथ पुरी से उधम होते हुए स्वयं श्री जगन्नाथ, बलराम व सुभद्रा चक्रसुदर्शन साल में एक बार द्वारका पुरी धाम से वृंदावन को चलते हैं।

भक्त लोग जब भगवान की इच्छा वृंदावन जाने की होती है तो उनको रथ में अरूढ करके वहां लेके जाने को अपना प्रथम प्रयास करते है, कीर्तन करते, नाचते तथा गाते है और वहां श्री जगन्नाथ जी को ले जाते हैं, वहां कहां ले जाते वृंदावन ले जाते हैं। स्वामी जी ने कहा कि वृंदावन कैसे बनता है जब हमारा ह्रदय स्वच्छ होता है, पवित्र होता तथा भगवान का नाम लेकर महामंत्र का कीर्तन करते तथा अपना कल्याण करते है। इस मौके पर श्री जगन्नाथ मंदिर के पुजारी आचार्य रामदत्त शास्त्री ने कहा कि जो भक्त रथयात्रा के दौरान दान देता है व यथयात्रा के साथ दस कदम चलता है तो भगवान श्री जगन्नाथ जी उनके करोडों जन्मों के पापों को क्षण भर में दूर कर देते हैं। पुजारी जी ने कहा कि जो भक्त रथयात्रा के दौरान रस्सा खिंचता है तथा प्रभु का नाम सिमरता है, उसका जन्म सफल हो जाता है। रथयात्रा के दौरान शहर के चप्पे-चप्पे पर श्रद्धालुओं द्वारा प्रसाद, दूध, मिठाइयां, खीर पुडे व लडडूओं का प्रबंध किया हुआ था। इस अवसर पर श्री जगन्नाथ जी रथयात्रा समिति के प्रधान गौरव अग्रवाल, उपप्रधान प्रकाशचंद बंसल, योगेश बंसल, कीर्ति शर्मा, योगेश गुप्ता, सतीश गर्ग, हिमाचल योगसभा, सनातन धर्म मंदिर, मधुबन ट्रस्ट ऋषिकेश जगन्नाथ रथयात्रा समिति देहरादून के सदस्यों के अलावा पूर्व मंत्री श्यामा शर्मा आदि मौजूद थे।