गुवाहाटी में 14 नवंबर से सजेगा प्राग्ज्योतिषपुर साहित्य महोत्सव

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By नव ठाकुरिया

गुवाहाटी: असम की समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाने के लिए गुवाहाटी में 14 नवंबर से तीन दिवसीय ‘प्राग्ज्योतिषपुर साहित्य महोत्सव’ (PLF) का तीसरा संस्करण आयोजित होने जा रहा है। ‘जड़ों की खोज’ (Search for Roots) विषय पर आधारित इस महोत्सव का उद्देश्य कामरूप साम्राज्य की प्राचीन राजधानी रहे प्राग्ज्योतिषपुर के गौरव को पुनर्जीवित करना है।

शंकरदेव शिक्षा एवं अनुसंधान प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित इस महोत्सव में देशभर के लेखक, आलोचक, कलाकार और साहित्य प्रेमी एक मंच पर जुटेंगे। तीन दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में असम की गहरी कलात्मक परंपराओं पर मंथन होगा, जिसमें कई पैनल चर्चाएं, प्रकृति लेखन पर कार्यशालाएं और बहुभाषी कविता पाठ शामिल हैं।

इन विषयों पर होगा मुख्य मंथन

इस बार महोत्सव में पांच प्रमुख विषयों पर गंभीर चर्चा होगी। इनमें असम की लोक कलाओं के विकास, 1990 के दशक के बाद असमिया गीतों के सफर, असमिया भाषा, साहित्य और पत्रकारिता के विस्तार पर बात की जाएगी। इसके साथ ही, असमिया अनुवाद साहित्य की उपलब्धियों और प्रख्यात उपन्यासकार बीरेंद्र कुमार भट्टाचार्य के रचनात्मक संसार पर भी विशेष सत्र रखे गए हैं। महोत्सव में कलागुरु बिष्णु प्रसाद राभा को भी एक विशेष सत्र के माध्यम से श्रद्धांजलि दी जाएगी।

गूंजेंगे कई भाषाओं के सांस्कृतिक स्वर

महोत्सव का एक मुख्य आकर्षण खुले वातावरण में होने वाला बहुभाषी कविता पाठ होगा। इसमें असमिया, संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, बोडो, कार्बी, मिशिंग, नेपाली, बंगाली और तिवा समेत कई भाषाओं के कवि अपनी रचनाओं से विविध सांस्कृतिक रंग बिखेरेंगे।

पीएलएफ के अध्यक्ष फणींद्र कुमार देव चौधरी ने कहा कि यह महोत्सव केवल साहित्य का आयोजन नहीं, बल्कि अपनी सभ्यता, भाषा और इतिहास से दोबारा जुड़ने की एक सांस्कृतिक यात्रा है। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि आज कई शिक्षित लोग अपनी विरासत को कम आंकते हैं और साहित्य को पश्चिमी नजरिए से देखते हैं, जिससे हमारी प्राचीन सभ्यता की भावना कहीं खो रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह महोत्सव कामरूप-कामाख्या सभ्यता की विरासत को नई पीढ़ी से जोड़ने का एक प्रेरक माध्यम बनेगा।