संवाददाता

ग्रामीण भारत में खेल संस्कृति के प्रोत्साहन के लिए पीवाईकेकेए

खेल देश के सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न पहलू है। खेल शिक्षा एवं मानव व्यक्तित्व के विकास का भी अखंड हिस्सा है। खेलों की संस्कृति को लोगों की जीवन शैली का हिस्सा बनाने के लिए खेलों के उपयुक्त बुनियादी ढांचे की जरूरत है। देश में बच्चों, किशोरों और युवाओं की आबादी करीब 77 करोड़ है, इनमें से महज पांच करोड़ की पहुंच संगठित खेल सुविधाओं तक है और ये सुविधाएं भी शहरी इलाकों तक सीमित हैं। करीब 75 प्रतिशत आबादी, मोटे तौर पर ग्रामीण इलाकों में रहती है और खेल की बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। खेलों के बुनियादी ढांचे और सामुदायिक प्रशिक्षण सुविधाओं की गंभीर अनुपयुक्तता देश में खेलों के प्रोत्साहन और विकास की राह में बाधक है।

इस मसले से निपटने के एक प्रयास के तहत सरकार ने वर्ष 2008-09 में ‘पंचायत युवा क्रीड़ा और खेल अभियान’ (पीवाईकेकेए) नामक एक राष्ट्रव्यापी ग्रामीण खेल कार्यक्रम की शुरूआत की। इस योजना का लक्ष्य दस वर्षों की अवधि के भीतर देश में चरणबद्ध ढंग से 2.5 लाख ग्राम पंचायतों और 6,400 ब्लॉक पंचायतों (तथा उसकी समकक्ष इकाइयों) में सामान्य राज्यों में 10 प्रतिशत के सालाना औसत और सीमावर्ती एवं पूर्वोत्तर राज्यों जैसे विशेष श्रेणी वाले राज्यों में 20 प्रतिशत की सालाना औसत से खेलों का बुनियादी ढांचा तैयार करना है। इस योजना के तहत राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों को ब्लॉक, जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तरों पर वार्षिक ग्रामीण खेल प्रतिस्पध्र्दाएं आयोजित कराने के लिए 100 प्रतिशत केन्द्रीय सहायता भी मुहैया कराई जाती है। राष्ट्रीय महिला प्रतियोगिता, अंतर-विद्यालय प्रतिस्पध्र्दाएं और पूर्वोत्तर खेलों का आयोजन कराने के लिए भी अलग से धन की व्यवस्था की गई है। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना अवधि के लिए 1,500 करोड़ रुपये की परियोजना के प्रारूप को भी मंजूरी दी गई है।

ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में पीवाईकेकेए योजना के लिए 1,500 करोड़ रुपये की परियोजना के प्रारूप को मंजूरी दी गई है। राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों के निवेदन और योजना के नियमों और शर्तों की पूर्ति के आधार पर वित्तीय सहायता मुहैया कराई गई है। यह योजना भागीदारी और प्रतिस्पर्ध्दी दोनों तरह के खेलों में लागू होती है और साथ ही खेलों एवं लैंगिक समानता की समावेशिता को बढ़ावा देती है। यह महात्मा गांधी नरेगा, एमपीएलएडी, एमएलएएलएडी जैसी अन्य योजनाओं के साथ मिला को बढ़ावा देती है और गांव#ब्लॉक में स्थित स्कूलों में खेलों के मैदानों को प्रमुखता देती है ताकि स्कूल की छुट्टी होने पर उनका इस्तेमाल सामुदायिक खेल सुविधाओं के लिए किया जा सके।

वित्तीय एवं शारीरिक प्रगति

पीवाईकेकेए योजना के पहले वर्ष (2008-09) के दौरान राज्यों#केन्द्रश्शासित प्रदेशों को खेलों की ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध कराने और प्रतिस्पध्र्दाओं का आयोजन कराने के लिए 92 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई। इसके अलावा योजना के दूसरे वर्ष (2009-10) के लिए 135 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई। योजना के तीसरे वर्ष (2010-11) के लिए जुलाई 2010 तक ढांचागत विकास और प्रतिस्पध्र्दाओं के आयोजन के लिए 160 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की जा चुकी है। पिछले तीन वर्षों (2008-09, 2009-10 और जुलाई 2010 तक) में पीवाईकेकेए के तहत 30,848 ग्राम पंचायतों और 967 ब्लॉक पंचायतों को शामिल किया गया है।

अनुमानित परिणाम

सभी गांव और ब्लॉक पंचायतें (और उनकी समकक्ष इकाइयां) खेल के मैदानों का आवंटन, संरक्षण करेंगी, स्कूलों को तरजीह दिए जाने से शारीरिक शिक्षा एवं खेलों को औपचारिक शिक्षा से जोड़ने के दूरगामी उद्देश्य को समझने में मदद मिलेगी, 40 लाख से ज्यादा युवाओं के वार्षिक ग्रामीण खेल प्रतिस्पध्र्दाओं में हिस्सा लेने की संभावना है जिससे युवा प्रतिभा की पहचान करने और उसे प्रोत्साहन देने का व्यापक आधार मिलेगा। इस योजना से प्रतिभा के आधार को चिन्हित करने में और राष्ट्रीय खिलाड़ियों की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी और इसकी बदौलत दस वर्षों की अवधि में दो लाख से ज्यादा सामुदायिक खेल प्रशिक्षक तैयार होने की संभावना है, ताकि देश में सशक्त खेल संस्कृति को बढ़ावा मिल सके।

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