चैकडैम ने बदली बच्छूं गांव की तकदीर

ज्वालामुखी:  बच्छू गांव के प्रताप ने कभी नहीं सोचा था कि उनकी जमीन भी सोना उगलने लगेगी और वह हर रोज ताजी सब्जियां अपने खेतों से तोडक़र बाजार तक पहुंचाकर पैसा कमाएंगे। वास्तव में प्रताप का कहना है कि साठ बसंत देखने के उपरांत पहली बार जीने का कुछ आनंद आया है। उन्होंने सिंचाई सुविधा मिलने के उपरांत चार मरले के खेत में इस वर्ष ही सब्जी उत्पादन का कार्य आरंभ किया और अपने इस्तेमाल एवं बांटने के अतिरिक्त सब्जियों से करीब पांच हजार रूपये से ज्यादा की उसे आमदनी हो चुकी है।

प्रताप की तरह ही इस गांव के होशियार सिंह, किरण बाला, कुंता देवी सहित करीब बीस परिवारों ने सब्जी उत्पादन से जुडक़र स्वाबलंबन की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। बंच्छू गांव नगरोटा बगबां विकास खंड के चंगर क्षेत्र का एक दूरस्थ गांव है जहां अतीत से ही बीस परिवार खेती के लिए वर्षा पर निर्भर रहते थे जिस कारण इस गांव में निर्धनता का एक वास हो गया था परंतु सरकार की जलागम योजना के फलस्वरूप इस गांव के किसान अब सब्जी उत्पादन कर अपने आप को समृद्घ मानने लगे हैं। इस योजना के तहत बच्छूं गांव के साथ बहने वाले एक बरसाती नाले में चैक डैम लगाकर पानी को एकत्रित करके लिफ्ट किया गया जिस पर लगभग 14 लाख की राशि व्यय की गई और इस चैक डैम द्वारा 31 हजार क्यूसिक लीटर पानी एकत्रित किया गया, इसके अतिरिक्त इस जल को लिफ्ट करने के लिए  मिड हिमालय परियोजना के तहत 3 लाख रूपये भंडारण टैंक के निर्माण एवं मोटर इत्यादि के लिए उपलब्ध करवाया गया।

चैक डैम के माध्यम से बच्छूं गांव के 20 हेक्टेयर से अधिक भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो रही है और किसानों द्वारा बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन करना आरंभ कर दिया गया है। इस योजना के रखरखाव के लिए लोगों द्वारा समूह का गठन किया गया है जिसमें सरकारी सहायता के अतिरिक्त लोगों द्वारा 9 हजार की राशि का अनुदान दिया गया है। इस चैकडैम में लोगों द्वारा मछली उत्पादन के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं और प्रयोगात्मक रूप में लगभग 2500 मत्स्य बीज डाला गया है और लोगों को उम्मीद है कि मत्स्य पालन इस गांव के लोगों के लिए अतिरिक्त आय का साधन बनेगा।

ग्रामीण समिति के सलाहाकार टेक चंद भरमौरिया ने बताया कि गत एक वर्ष के दौरान इस गांव में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होने के उपरांत पारंपरिक फसलें धान एवं गेहूं इत्यादि में भी पचास प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है अब लोग पारंपरिक फसलों के अलावा सब्जियों का उत्पादन भी करने लगे हैं। जिससे किसानों की आर्थिकी में धीरे-धीरे परिवर्तन आने लगा है।

प्रदेश सरकार की जल एवं पर्यावरण संरक्षण की नीति से आरंभिक तौर पर कुछ कठिनाइयां भले ही पेश आ रही हैं परंतु इस कल्याणकारी योजना के दूरगामी परिणाम बच्छूं गांव की भांति आने लगे हैं और इस महत्वाकांक्षी योजना से निकट भविष्य में जल एवं पर्यावरण संरक्षण से लोगों के जन-जीवन में एक क्रांतिकारी परिवर्तन अवश्य आएगा।

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