जीवन एक कश्ती है
जिस पर दुनिया
नाविक है वो इंसान
जिसने हमेशा किया अपना गुणगान
दुख-सुख से भरा सागर होगा
जिसमें जीवन को बेहना होगा।।
कभी होंगे दुख के भंवर
तो कभी सुख की लहरें
धर्म के नाम पर भी
होंगे जीवन में कई पहरे।।
जीवन का संतुलन जो बिगडा
तो इंसान करेगा ईश्वर से झगडा
फिर से सुख की लहरों में झुलेगा
साथ ही भगवान को भी भूलेगा।।
आए जो दुख के भंवर
मुश्किल हो जाएगा जीवन का सफर
फिर करेगा वो राहत की पुकार
सुख पाने के लिए बनाएगा इ्रश्वर को अपना आधा।।
एक दिन यह कश्ती डूब जाएगी
फिर भी जीवन की माया किसी को समझ न आएगी।
फिर भी जीवन एक कश्ती रहेगी
और यह दुनिया यूं ही इस पर अजित रहेगी।।