जीवन की सांझ में सुख से भेंट हुई तो चमक उठी सूनी आखें

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इरा और हैल्पेज इंडिया की मदद से ली बेसहारा बुजुर्गों की जिन्दगी ने करवट ।

ज्वालामुखी: ज्वालामुखी से सटे खुडिंया क्षेत्र में कार्यरत स्वयंसेवी संस्था पर्यावरण व ग्रामीण जागृति संघ इरा ने हैल्पेज इंडिया की सहायता से आरम्भ किए गए बृद्घ कल्याण योजना ने कई बेसहारों के जीवन में आशा की एक नई किरण प्रज्जवलित की है । अंतराष्ट्रीय वृद्घ वर्ष के अवसर पर कुछ साल पहले आरम्भ की गई इस योजना के अन्र्तगत खुंडियां क्षेत्र के कई बेसहारा लोगों को अपनाकर उन्हें 320 से 500 रूपये मासिक की वित्तिय सहायता दी जाती है । जिससे उन्हें अपना जीवन यापन सरल दिखाई दे रहा है अपनाये गए लोगों में कुछ की दशा इतनी दारूण है कि सुनने वाले की आखें में बरबस आंसू भर आते हैं ।

चंगर में खुडियां कांगड़ा जिले का वह दुर्गम व उपेक्षित इलाका है जहां की भूमि पठारी है । व पानी का अभाव खेतीबाड़ी को लगभग असंभव बना देता है । जीवन यापन के अनय साधनों के अभाव में अधिकांश अशिक्षित परिवार मेहनत मजदूरी के लिए दूरदराज के इलाकों में जाते हैं । सडक़ों के अभाव में इस क्षेत्र में न तो विकास योजनायें बनी न ही सरकारी सहायता मिल पाई , जिस कारण लोग मुशिकल का जीवन बीता रहे हैं । इन परिस्थियों में उन वृद्घों का जीवन दूभर है जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है । हेल्पेज इंडिया के पेंशन कार्यक्रम के तहत कई वृद्घों को आश्रय दिया जा चुका है ।

इनमें बड़ोग लाहड़ पंचायत की नब्बे वर्षीय सेवती देवी शामिल है । हरिजन परिवार की इस वृा का सारा जीवन अभावग्रस्त ही गुजरा , लेकिन पति की मौत और बेटे के न होने के कारण अखिरी वर्षों में समस्या गम्भीर हो गई । सेवती देवी की एकमात्र विवाहित बेटी अपने परिवार की मजबूरियों के कारण मां की सेवा करने में अक्षम है । स्थिति इतनी दयनीय है कि वृद्घा को कई बार भूखों सोना पड़ता था । लेकिन अब पेंशन मिलने के कारण उसे दो जून का खाना नसीब होने लगा है । सुरानी गांव की वृद्घा हरफों की कहानी भी कम दारूण नहीं । पति की मौत के बाद बेटा अलग घर बसा बैठा और मां को पशुशाला में जीने के लिए छोड़ दिया । पशुओं जैसा जीवन बिताने वाली इस गरीब विधवा के लिए पैंशन राशि किसी वरदान से कम नहीं । इसी प्रकार जीवन चुचौकाठ गांव की प्रमी देवी , चडंबू की सत्या व शंकरा और अन्य बेसहारा बुजुर्ग बिता रहे थे , लेकिन इरा व हैल्पेज इंडिया से मिल रही मासिक पैंशन राशि ने अब उनके जीवन को नई दिशा दे दी है । इन निर्धन बेसहारों की जुबान पर जहां स्वंयसेवी संस्था इरा व हैल्पेज इंडिया के लिए दुआयें हैं । वहीं सरकार द्घारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों के प्रति रोष है । इन लोगों का कहना है कि उनकी दशा जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से छिपी नहीं है । और वह कई बार इस विषय में सरकार से गुहार भी कर चुके हैं । लेकिन सुनवाई नहीं हुई । उम्र के अखिरी पडुाव पर यह अशिक्षत , बेसहारा बीमार बृद्घ अपनी गुहार लेकर बार-बार प्रशासन तकळी नहीं पहूंच सकते ।

इरा व हेल्पेज इंडिया के इस वृद्घ सहायता परियोजना के कामकाज को चला रहे प्रदीप कुमार के लिए अब यह वृद्घ ही परिवार हैं । और उनकी पूरी तन्मयता से देखभाल करते हैं । इरा निकट भविष्य में अन्य बेसहारा वृद्घों को भी अपनाने की योजना बना रही है । वहीं बेघरबार लोगों को छत उपलब्ध करवाने के लिए अपना भवन बनाने की योजना को भी अमली जामा पहनानने का प्रयास कर रही है । इरा का मानना है कि आधुनिक युग में ेगरते मूल्यों के कारण बेसहारा लोगों को सम्मानजनक जीवन एक समस्या बन गया है । और ऐसे में समाजसेवी संगठन अहम भूमिका निभा सकते हैं ।