शिमला: मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में चाय उद्योग को जैविक खेती के माध्यम से पुनर्जीवित करेगी और इस कार्य के लिए चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में 150 हैक्टेयर से अधिक भूमि पर एक चाय बागान स्थापित किया जाएगा। मुख्यमंत्री गत सायं केेंद्रीय वाणिज्य विभाग के अतिरिक्त सचिव श्री ऐ.के. मंगोतरा, भारतीय टी बोर्ड के अध्यक्ष श्री वासुदेवा और भारतीय स्पाईस बोर्ड के अध्यक्ष श्री कुरियन के साथ एक बैठक को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार चाय प्रेमियों के मध्य कांगड़ा चाय को लोकप्रिय बनाने, इसका पेटेंट कराने और चाय उत्पादकों को चाय बागान बढ़ाने के लिए प्रयास कर रही है, जिससे वे अधिक उपज प्राप्त कर सकें। बेकार पड़े चाय बागानों को पुनर्जीवित करने के साथ-साथ राज्य सरकार भारतीय टी बोर्ड के सहयोग से चम्बा तथा मण्डी जिलों में चाय उत्पादन की संभावनाओं का पता लगाएगी, क्योंकि इन जिलों का मौसम चाय उत्पादन के लिए अनुकूल है। उन्होंने कहा कि इन तीन जिलों में सर्वेक्षकों द्वारा 7700 हैक्टेयर भूमि चिन्हित की गई है, जहां अच्छी गुणवत्ता के जैविक चाय बागान विकसित किए जा सकते हैं। इन संभावित क्षेत्रों में विशेषज्ञों का एक दल सर्वेक्षण कर संभावनाओं का पता लगाएगा, जिससे प्राथमिकता के आधार पर चाय उत्पादन आरम्भ किया जा सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में केवल 8.5 लाख किलोग्राम चाय का उत्पादन वार्षिक आधार पर हो रहा है, जिसे 25 लाख किलोग्राम तक बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। प्रदेश में चाय पत्ती का उत्पादन बढ़ाकर ही कांगड़ा चाय के ब्रांड नेम को लोकप्रिय बनाया जा सकता है।
प्रो. धूमल ने कहा कि राज्य में नए चाय बागान जैविक आधार पर विकसित किए जाएंगे, क्योंकि जैविक चाय के लिए विश्व भर में बाजार पहले से उपलब्ध है और जैविक चाय के दाम भी अच्छे मिलते हैं। उन्होंने कहा कि आरम्भ में कृषि विश्वविद्यालय में प्रदर्शन प्लॉट भी विकसित किया जाएगा, जिससे चाय उत्पादकों को प्रोत्साहित किया जा सके और उन्हें तकनीकी सहायता प्रदान की जा सके। यहां पर उन्हें देश के विख्यात चाय वैज्ञानिकों की सेवाएं प्राप्त होंगी। उन्होंने कहा कि कांगड़ा जिले में लगभग 1000 हैक्टेयर भूमि पर बने चाय बागानों को चाय उत्पादकों द्वारा बेकार छोड़ दिया गया है। इन चाय बागानों को पुनर्जीवित कर इन्हें जैविक चाय बागानों के रूप में विकसित करने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कंेद्र सरकार से आग्रह किया कि हिमाचल प्रदेश के चाय उत्पादकों को उदार प्रोत्साहन प्रदान किया जाए, जिससे वे चाय उत्पादन को अपना सकें। उन्होंने संबंधित अधिकारियों से आग्रह किया कि कांगड़ा चाय के लिए वितरक तलाशें, जिससे देश-विदेश में कांगड़ा चाय एक जाना-पहचाना ब्रांड नेम बन सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश में चाय उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए राज्य सरकार हर संभव सहायता प्रदान करेगी।
केेंद्रीय वाणिज्य विभाग के अतिरिक्त सचिव श्री ऐ.के. मंगोतरा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में चाय उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए केंद्र सरकार विशेषज्ञ सेवाएं प्रदान करेगी और कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में एक जैविक चाय बागान स्थापित किया जाएगा। उन्होंन विश्वास दिलाया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कांगड़ा चाय के विपणन के लिए देश के विख्यात चाय व्यपारी इस योजना के साथ जोड़े जाएंगे। उन्होंने कहा कि विश्व की विख्यात विदेशी कंपनियां हिमाचल प्रदेश में निवेश करने की इच्छुक हैं। उन्होंने बताया कि केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री द्वारा हाल ही में घेषित स्पाईस पार्क शीघ्र ही 27 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जाएगा, जहां अदरक, लहसुन और मिर्च इत्यादि को प्रोसेस किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आरम्भ में इसके साथ स्थानीय व्यपारियों को जोड़ा जाएगा और यह राज्य के कृषि विश्वविद्यालय के साथ केंद्रीय मंत्रालय का एक संयुक्त उद्यम होगा। दूसरे चरण में अदरक तथा लहसुन इत्यादि की आपूर्ति के लिए शिमला तथा सिरमौर जिलों को भी इसके साथ जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि इस पार्क के स्थापित होने से राज्य में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। पालमपुर स्थित टी बोर्ड कार्यालय को भी प्राथमिकता के आधार पर सुदृढ़ किया जाएगा।
सचिव कृषि श्री राम सुभग सिंह ने इस अवसर पर प्रदेश में चाय उद्योग की स्थिति पर विस्तृत जानकारी और इसे पुनर्जीवित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जैविक चाय खेती के लाभ के बारे में चाय उत्पादकों को शिक्षित किया जाना आवश्यक है और यह कार्य भारतीय टी बोर्ड के विशेषज्ञों के सहयोग से पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में चाय उद्योग को पुनर्जीवित एवं सुदृढ़ करने के लिए विशेष प्रयास कर रही है।