ज्वालामुखी कालेज में चोर दरवाजे से नौकरियों को बांटने का सिलसिला

ज्वालामुखी: ज्वालामुखी कालेज में इन दिनों की जा रही भर्तियों को लेकर प्रशासन के रवैये को लेकर सवाल उठने लगे हैं | कालेज में जिस तरीके से साईंस क्लासिज शुरू करने की बात हो रही थी उसके विपरीत कालेज प्रशासन ने कुछ चहेतों को नौकरियां बांटने का काम इन दिनों शुरू कर दिया है | मंदिर न्यास के आर्थिक सहयोग से चल रहे इस कालेज में शुरू से ही राजनीति हावि होती रही है; इस बार यहां कालेज प्रशासन साईंस क्लासिज शुरू कर रहा है | लेकिन न तो कालेज में अभी तक कोई ठोस मूलभूत सुविधा है | न ही इलाके में इसके प्रति कोई खास उत्साह है | हांलाकि यूनिवर्सिटी से कालेज को 60 मेडिकल व इतनी ही नान मेडिकल के लिये सीटों की मंजूरी मिल चुकी है | लेकिन इलाके में इसके प्रति कोई उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है | यही वजह है कि अब तक यहां केवल बीस छात्रों ने ही दाखिला लिया है| जबकि अकादमिक सेषन षुरू हो चुका है; इस सबके बावजूद कालेज प्रशासन ने पिछले दिनों बाकायदा कालेज लेक्चरर के लिये साक्षात्कार बुलाये इसकी अंतिम तिथि 30 अगस्त है बताया जा रहा है कि इन पदो के लिये कांगडा के जिलाधीश कार्यालय में अब तक अस्सी आवेदन आ चुके हैं |

इसकी पुष्टि दफतर के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर की;लेकिन कालेज प्रशासन ने इस सबके बावजूद अंदरूनी राजनिति के चलते रातों रात कुछ लेक्चरर कालेज में रख लिये व बहाना बनाया जा रहा है कि यह लोग बिना वेतन के काम करेंगे | दिलचस्प तथ्य है कि जो लोग बिना साक्षात्कार के रखे जा रहे हैं उनमें कांगडा जिला से ताल्लुक रखने वाले धूमल सरकार के एक कबीना मंत्री का करीबी रिशतेदर भी है; यही नहीं इनमें से कोई भी यू जी सी के मापदंड पूरा नहीं करता; निर्धारित मापदंडो के तहत कालेज में 55 फीसदी अंकं वाला ही लेक्चरर रखा जा सकता है; 30 जून 2010 को यू जी सी ने बाकायदा इस बाबत दिशा निर्देश जारी किये हैं | व अब पी एच डी की भी अनिवार्यता है | लेकिन यहां कालेज में बी एस सी को ही बी एस सी पढाने के लिये रख लिया गया है; इस सबके पीछे मंदिर प्रशासन की मंशा किसी के भी समझ नहीं आ रही; इलाके के प्रबुद्ध लोग इस सबसे हैरान हैं |

जाने माने शिक्षाविद अशोक गौतम का मानना है कि यहां व्यवस्था में सुधार लाने के बजाये प्रशासन की दिलचस्पी अपने लोगों को नियुकत करने की है | जब बीस छात्रों ने ही दाखिला लिया है तो कक्षायें इस बार शुरू करने के फैसले पर दोबारा सोचना चाहिये;यू जी सी के मापदंड ही पूरे नहीं होंगे तो इसका औचित्य क्या है | इस मामले पर कालेज के कार्यकारी प्राचार्य मदिर तहसीलदार सुदेश नैयर ने कुछ भी बोलने से इंकार किया व कहा कि देहरा के एस डी एम राकेश शर्मा ही कुछ बता सकते हैं | लेकिन देहरा के एस डी एम से टेलिफोन पर प्रयास के बावजूद बात नहीं हो सकी |