ज्वालामुखी: ज्वालामुखी की राजनिति में ताकतवर नेता के रूप में उभर कर सामने आयी अनिल प्रभा। ज्वालामुखी नगर पंचायत के चुनावों में करीब चार सौ से अधिक मतों से विजय हासिल कर अपनी ताकत का एहसास उन्होंने स्पष्टï तौर पर कर दिया है। हालांकि उनके चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा की ओर से पूरा अमला व खुद मंत्री रमेश धवाला डटे थे। लेकिन अनिल प्रभा ने पूरे अभियान के दौरान अपने साथ किसी को भी नहीं चलाया। हालांकि इस दौरान उन्होंने गुटबाजी में उलझी कांग्रेस को भी अपने साथ संतुलित रखने की कोशिश की। यह अनिल प्रभा के राजनैतिक कौशल का ही परिणाम था। कि उन्होंने अपने दम पर हर घर में दस्तक देकर हर मतदाता से न केवल संवाद स्थापित किया बल्कि उसे अपने समर्थन में भी लाने का भरपूर प्रयास किया। हालांकि भाजपा को साथ लगती देहरा नगर पंचायत में सकून मिला भी। लेकिन ज्वालामुखी की हार किसी सदमें से कम नहीं।
इस बार शुरू से ही अनिल प्रभा को संघर्ष का सामना करना पडा। टिकट के मामले में हालांकि वह स्थानीय नेताओं की पंसद नहीं थी। लेकिन महिला कांग्रेस की अध्यक्षा कमला प्रार्थी विप्लव ठाकुर व विधायक योगराज की पैरवी के चलते उन्हें कांग्रेस का मिला। व मैदान में वह उतरीं। कांग्रेस की राजनिति में भी अनिल प्रभा के रूप में नयी ताकत सामने आ गयी है। उनकी जीत टिकट की चाहवान नेताओं की उम्मीदों पर पानी फेर सकती है। चूंकि अनिल प्रभा अब शायद ही किसी के काफिले में पीछे चलना पंसद करे। राजनिति उन्हें विरासत में मिली है। व वह किसी के परिचय की मोहताज नहीं। उनके पिता साठ के दशक में ज्वालामुखी के सरपंच रह चुके हैं। व खुद अनिल प्रभा भी पहले नगर पंचायत की अध्यक्षा रह चुकी हैं। महिला कांग्रेस में उनका दखल है। अनिल प्रभा बताती हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें कई खट्ट्टïे मीठे अनुभवों का सामना करना पडा। लेकिन उनका आत्मविशवास ही उन्हें कामयाबी की ओर ले गया। अपनी जीत का सारा श्रेय वह ज्वालामुखी की जनता को देती हैं। व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ठाकुर कौल सिंह की भी वह आभारी हैं। जिनकी वजह से उन्हें यह मुकाम मिला।