ज्वालामुखी में लगातार बढ़ रही अप्रवासी भिखारियों की संख्या

ज्वालामुखी: ज्वालामुखी में लगातार बढ़ रही अप्रवासी  भिखारियों की संख्या ने यात्रियों के साथ-साथ स्थानीय दुकानदारों  के नाक में दम कर दिया है, जबकि प्रशासन द्वारा इन पर लगाम लगाने के सभी प्रयास अभी तक विफल साबित हुए हैं। प्रसिद्घ धार्मिक स्थल होने के कारण ज्वालामुखी में वर्ष भर श्रद्घालुओं का आना जाना लगा रहता है, जिससे यह भिखारी अच्छी खासी कमाई रोजाना कर रहे हैं।  भिखारियों में अधिकतर संख्या बच्चों की है, जिनमें 2 वर्ष से लेकर 12 वर्ष तक के बच्चे शामिल हैं, इसके अतिरिक्त कुछ बुजुर्ग महिलाएं भी बाजारों व बस अड्डे पर यात्रियों का पीछा करती देखी जा सकती हैं।

यह अप्रवासी भिखा दिन भर मंदिर मार्ग, बसस्टैंड व मंदिर प्रांगण में यात्रियों से भीख मांगते देखे जा सकते हैं। यात्रियों के ज्वालामुखी में प्रवेश करते ही यह अपना काम शुरू कर देते हैं। कुछ  भिखारी बसस्टैंड पर वाहनों से उतरते ही यात्रियों को घेरना शुरू कर देते हैं, कुछ  भिखारी बाजार से गुजरते समय यात्रियों को अपना निशाना बनाते हैं, जबकि कुछ  भिखारी मंदिर प्रांगण में यात्रियों से भीख मांगते हैं। यह  भिखारी अपने काम में इतने निपुण हैं कि एकबार यात्री को घेर लेने के बाद यह कुछ न कुछ यात्री की जेब से निकलवा पाने में सफल रहते हैं। यही नहीं अगर यात्री पैसे देने में आनाकानी करें तो यह  भिखारी उन्हें अपशब्द कहने से भी नहीं चूकते ।

इसी तरह कुछ  भिखारी अपनी शारीरिक अपंगता का फायदा भी भीख मांगकर उठा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि बच्चों के माता पिता खुद उन्हें सुबह भीख मांगने के लिए छोड़ कर जाते हैं व दिन में एक बार इनके द्वारा इकट्ठे किए हुए पैसे ले जाना भी नहीं भूलते । एक अनुमान के अनुसार दिन भर में यह  भिखारी 300 से अधिक रूपये की कमाई कर लेते हैं। यही कारण है कि प्रशासन द्वारा इन्हें खदेडऩे व इनका ध्यान पढ़ाई व अन्य कामों में लगाने के लिए सभी प्रयास विफल रहे हैं। ऐसा नहीं है कि स्थानीय मंदिर प्रशासन व पुलिस प्रशासन ने इनको हटाने के प्रयास नहीं किए। मंदिर प्रशासन ने इन अप्रवासी बच्चों का ध्यान पढ़ाई की और लगाने के लिए मंदिर हाल में ही इनकी निशुल्क पढ़ाई की व्यवस्था की है, जिसमें इन्हें वर्दी , किताबें व अन्य सामान निशुल्क दिया जाता है, लेकिन फिर भी बच्चे भीख मांगने को ही आजीविका का साधन मान रहे हैं। स्थानीय पुलिस द्वारा भी इन्हें यहां से खदेडऩे के लिए काफी प्रयास किए गए, लेकिन वह भी इन्हें भीख मांगने से नहीं रोक पाएं हैं।

इन सभी के बीच  केवल स्थानीय दुकानदार इन  भिखारियों से बेहद परेशान हैं, दुकानदारों का कहना है कि  भिखारियों के कारण उनका कारोबार चौपट हो गया है जब कोई भी ग्राहक दुकान से कुछ खरीदने के लिए रूकता है तो यह  भिखारी बच्चे उन्हें भी भीख के लिए घेर लेते हैं और ग्राहक बिना समान लिए ही आगे बढऩे में ही भलाई समझते हैं। स्थानीय लोगों का भी मानना है कि अप्रवासी  भिखारियों के कारण ज्वालामुखी जैसे धार्मिक स्थल की छवि खराब हो रही है, और यहां आने वाले यात्रियों में गलत संदेश जा रहा है, जोकि प्रदेश की संस्कृति के बिलकुल विपरीत है। स्थानीय दुकानदारों व लोगों का कहना है कि प्रशासन भी  मांगने वाले इन अप्रवासी लोगों के साथ सख्ती से पेश आए व इनको यहां से खदेड़कर  भिक्षावृति के इस धंधे पर लगाम लगाएं।

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