ज्वालामुखी में सदियों पुराना हवन कुंड बंद करने को लेकर लोग विरोध पर उतरे

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ज्वालामुखी: मंदिर में चल रहे अभियान के तहत एक और ऐतिहासिक स्मारक दफन हो गया। जिससे इलाके के लोगों में गुस्सा है। ताजा घटनाक्रम मंदिर के सामने सदियों से चले आ रहे हवन कुंड को मंदिर प्रशासन ने सीमेंट से बंद कर दिया।

हालांकि इसको बंद करने के पीछे मंदिर अधिकारी सुदेश नैयर के पास कोई ठोस जवाब नहीं है। लेकिन वह बताते हैं कि कांगडा के जिलाधीश आर एस गुप्ता के आदेशों व मंदिर न्यास के सदस्यों की सहमति से ही यह हुआ है। लेकिन हैरानी का विषय है कि कांगडा के जिलाधीश इससे पहले भी कई ऐसे फैसले ले चुके हैं। जो हिन्दु समाज को कतई रास नहीं आ सकते।

यह वही हवन कुंड है। जहां आज तक देश दुनिया के लाखेंा लोग हवन करवा चुके हैं। लेकिन लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र आज कांगडा के जिलाधीश के आदेश मात्र से मिन्टों में धवस्त कर दिया गया। इतिहास साक्षी रहा है कि यहां रियासत काल में कई पहाडी राजा यहां हवन कर चुके हैं। स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांध्ीा से लेकर शंकर दयाल शर्मा चंद्र शेखर जैसे दिग्गज इसी जगह नतमस्तक होकर अपने अराध्य देव की पूजा कर चुके हैं। देश के इस्पात मंत्री व खुद मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल पता नहीं कितनी बार इस यग्य कुंड में आहुतियां डाल चुके हैं।इस स्थान को महाराजा पटियाला भी नहीं भूलते। स्थान का महत्व अधिक इसलिये रहा है कि यहां बैठकर सामने मंदिर में प्राचीनकाल से जल रही ज्योतियां दिखायी देती हैं। लिहाजा यहां हवन कर हर किसी को न केवल मानसिक सुख मिलता है। बल्कि अपनी मनौति पूरी होने का विशवास भी हासिल होता है।

लेकिन सवाल उठता है कि सरकार पुरातन स्मारकों को जानबूझ कर मिटा रही है। या इससे कोई फायदा हो रहा है।

मंदिर के बारीदार विमल कुमार ने कहा कि मंदिर प्रशासन ऐसा क्यों कर रहा है यह उन्हें नहीं पता । लेकिन अब लोग मंदिर के सामने बैठकर हवन नहीं करवा पायेंगे। उन्हें लगता है कि ऐसा काम वही लोग कर सकते हैं जो मूर्ति पूजा में विशवास नहीं रखते। चूंकि हवन कुंड को तो किसी भी तरीके से बंद नहीं किया जा सकता।

कांग्रेस नेता अशोक गौतम ने अफसोस जताया कि ऐसा कदम कोई नास्तिक ही उठा सकता है। बकौल उनके कांगडा के जिलाधीश व मंदिर से जुडे दूसरे लोग अगर नास्तिक हैं। तो सरकार को तुरन्त इस ओर कदम उठाने चाहियें। ताकि धार्मिक भावनायें आहत न हों। ज्वालामुखी नगर पंचायत के पार्षद उत्तम चंद ने कहा कि प्रशासन जल्द ही इस हवन कुंड को जल्द न खोला तो नगर के तमाम लोग ंमदिर प्रशासन के खिलाफ प्रर्दशन करेंगे।

उधर मंदिर न्यास के सदस्य प्रताप चौधरी ने बताया कि हवन कुंड बंद करने का फैसला टरस्ट की बैठक में नहीं हुआ है।

अखिल भारतीय ब्राहम्ण सभा के स्थानीय संयोजक बी के उपमन्यु ने मंदिर प्रशासन के इस फैसले की कडे शब्दों में निन्दा की है। व कहा कि कांगडा के जिलाधीश ने आज तक जो भी फैसले मंदिर के बारे में लिये र्हैं। वह हिन्दु हितों के खिलाफ हैं। पुरातन ऐतिहासिक स्मारकों को तोडने की इजाजत कोई भी सभ्य समाज नहीं दे सकता।

स्थानीय विधायक रमेश धवाला ने इस बाबत स्पष्ट किया कि वह खुद मंदिर में जाकर वास्तुस्थ्तिी का अध्यन करेंगे। लेकिन कोई भी फैसला थोपा नहीं जायेगा। जनता जो चाहेगी। काम वही होगा। कांगडा के जिलाधीश से इस मामले पर बार बार प्रयास के बावजूद संपर्क नहीं हो पाया।