डा. ढींडसा को मिला हरियाणा रत्न अवार्ड

सिरसा:  जननायक चौ. देवीलाल विद्यापीठ सिरसा के पूर्व महानिदेशक एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक डा. कुलदीप ङ्क्षसह ढींडसा को प्रतिष्ठित हरियाणा रत्न अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उन्हें शुद्ध एवं व्यवहारिक रसायन विज्ञान में किए गए अभूतपूर्व योगदान एवं तकनीकी व व्यवहारिक शिक्षा के प्रचार प्रसार में उपलब्धियों के फलस्वरूप प्रदान किया जाएगा। ज्ञातव्य है कि डा. ढींडसा के कार्यकाल में विद्यापीठ ने तकनीकी शिक्षा में गुणवत्ता के उच्चतम कीर्तिमान स्थापित कर देश के शिक्षा मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण पहचान बनाई। डा. ढींडसा को यह सम्मान 24 अक्तूबर को चंडीगढ़ में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया जाएगा।

आल इंडिया कांफैंस आफ इंटिलैक्चुबलज के महासचिव प्रकाश निधि शर्मा ने इस आशय की सूचना देते हुए लिखा कि कांफैंस प्रतिवर्ष ऐसे भारतीय नागरिकों को, जिन्होंने देश एवं समाज के लिए स्वार्थ रहित उत्कृष्ठ योगदान देकर मानवीय मूल्यों पर आधारित समाज के नव निर्माण में योगदान दिया हो, सम्मानित करती है। वर्ष 2010 के लिए हरियाणा से केवल प्रोफैसर ढींडसा को चुना गया है। उन्हें आशा व्यक्त की है कि डा. ढींडसा का चयन आने वाले पीढियों को उत्कृष्ठ कार्य करने के लिए प्रेरित करेगा।

डा. ढींडसा को रसायन विज्ञान के क्षेत्र में योगदान के लिए 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी अवार्ड से अलंकृत किया था। हरियाणा में यह अवार्ड प्राप्त करने वाले डा. ढींडसा प्रथम वैज्ञानिक है। सन् 1996 में विज्ञान एवं समाज के प्रति उत्कृष्ठ सेवाओं के लिए उन्हें डा. अम्बेडकर राष्ट्रीय सेवा श्री अवार्ड से सम्मानित किया गया। वर्ष 2004 में राष्ट्रीय पर्यावरण विज्ञान अकादमी ने डा. ढींडसा को वर्ष 2003 के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक अवार्ड से नवाजा। जर्मनी एवं अमेरिका में अनेकों बार विजिङ्क्षटग प्रोफेसर रहे डा. ढींडसा के 160 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। अनुसंधान के सिलसिले में उन्होंने जर्मनी, फ्रांस, स्पेन, स्विटजरलैंड, स्वीडन, डेनमार्क , इंग्लैंड व अमेरिका सहित अनेक देशों की यात्रा भी की। उन्हें 2001 में अमेरिका के राष्ट्रपति बिल कलिंटन के साथ रात्रिभोज करने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ । इस संवाददाता केे साथ वार्तालाप में डा. ढींडसा ने कहा कि हमारी शोध नीतियां सामाजिक आश्वयकताओं के अनुरुप, प्राद्यौगिक दृष्टिकोण से समर्थ एवं पर्यावरण के अनुकूल होनी चाहिए। डा. ढींडसा का विचार है कि विद्यार्थी चाहे गांव में हो या महानगर में उसको शिक्षा के समान अवसर मिलने चाहिए।