धर्मशाला: वीरचक्र से विभूषित सूबेदार मेजर गोवर्धन सिंह अपने जीवन में आज पहली बार उपायुक्त से भेंट करने पर गदगद हुए। 68 वसंत देखने के बावजूद कभी उन्हें डीसी से मिलने का अवसर नहीं मिला और जब आज यहां डीआरडीए हाल में आयोजित जिला स्तरीय सैनिक कल्याण बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता उपायुक्त कांगड़ा, आरएस गुप्ता कर रहे थे, उस समय सूबेदार मेजर गोवर्धन सिंह अपने स्थान से उठकर उपायुक्त से मिलने उनके सीट पर पहुंच गये और अपने आप को अहोभाग्य मानने लगे।
उल्लेखनीय है कि सूबेदार मेजर गोवर्धन सिंह का जन्म कांगड़ा जिला के उपमण्डल जैसिंहपुर के गांव पलेटा में 10 अक्तूबर, 1942 में हुआ और आठवीं कक्षा मोलग में उत्तीर्ण करने के उपरान्त 14 वर्ष की अल्पायु में ही सेना में ब्वायज़ के रूप में प्रवेश किया। प्रथम डोगरा बटालियन में सेवाकाल के दौरान इन्होंने वर्ष 1961 में अफ्रीका में यूएनओ के माध्यम से शांति सेना के रूप में बेहतर सेवाएं प्रदान कीं जिस पर इन्हें पूर्व राष्ट्रपति सर्वोपल्ली डॉ. राधाकृष्णन द्वारा वीरचक्र से सम्मानित किया गयाा था।
गोवर्धन सिंह ने अपने साक्षात्कार में बताया कि उन्होंने अपने जीवनकाल में किसी भी डीसी को देखा तक नहीं था और जब वह आरएस गुप्ता से भेंट की तो उन्होंने श्री गुप्ता को एक सुशील, योग्य एवं कर्मनिष्ठ अधिकारी की उपाधि दी।
उन्होंने बताया कि पहली मुलाकात में ही उपायुक्त द्वारा उन्हें अपने गांव के लिये सम्पर्क सड़क बनाने के लिये धनराशि देने का आश्वासन दिया।