सोलन: हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले भारत रत्न डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन को उनकी शताब्दी जन्म वर्ष के उपलक्ष्य में डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में श्रद्धांजलि दी गई।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय की ओर से एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा-बिहार के कुलाधिपति डॉ. पी. एल. गौतम मुख्य वक्ता रहे। डॉ. गौतम एक प्रख्यात वैज्ञानिक एवं शैक्षणिक प्रशासक हैं, जिन्होंने जी.बी. पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर के कुलपति और आई.सी.ए.आर. के उप महानिदेशक सहित देश की विभिन्न प्रमुख संस्थाओं में महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर कार्य किया है।
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. स्वामीनाथन को पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। इस अवसर पर कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने उनका स्मरण करते हुए उनके उस महान योगदान को रेखांकित किया, जिसने भारतीय कृषि को आत्मनिर्भर बनाने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के नए स्नातक छात्रों एवं विश्वविद्यालय के शिक्षकों को संबोधित करते हुए डॉ. पी. एल. गौतम ने डॉ. स्वामीनाथन के साथ अपने शैक्षणिक एवं पेशेवर जीवन के अनेक प्रेरणादायक प्रसंग साझा किए। उन्होंने अपने एम. एससी. अध्ययन काल की स्मृतियों को साझा करते हुए बताया कि किस प्रकार उन्होंने डॉ. स्वामीनाथन की अद्भुत शिक्षण शैली का प्रत्यक्ष अनुभव किया। उन्हें ‘शिक्षकों के शिक्षक’ की संज्ञा देते हुए, डॉ. गौतम ने कहा कि वे न केवल एक महान वैज्ञानिक थे, बल्कि एक दूरदर्शी विचारक भी थे।
डॉ. गौतम ने डॉ. स्वामीनाथन के साथ हुई अपनी कई पेशेवर मुलाकातों को याद करते हुए उन्हें एक संस्थान निर्माता बताया, जो यह भली भांति समझते थे कि कृषि, देश की आजीविका का एक मजबूत आधार है। उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. स्वामीनाथन ने कई ऐसे विषयों पर कार्य किया, जो आज के समय में अत्यंत प्रासंगिक हो गए हैं। विशेष रूप से, उन्होंने हिमालयी क्षेत्र के लिए अलग नीतियों की भी खुलकर वकालत की।
डॉ. गौतम ने छात्रों से आग्रह किया कि वे डॉ. स्वामीनाथन के जीवन और कार्यों से प्रेरणा लें, नवाचार करें, पेशेवर वैज्ञानिक संस्थाओं से जुड़ें, और कृषि क्षेत्र की भविष्य की चुनौतियों से निपटने हेतु अनुसंधान-प्रधान दृष्टिकोण अपनाएं। उन्होंने कृषि महाविद्यालय, सोलन में अपने बी. एससी. छात्र जीवन और नौणी विश्वविद्यालय के वानिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता के रूप में बिताए अपने दिनों को भी याद करते हुए विश्वविद्यालय द्वारा किए गए विकास को सराहा।
कार्यक्रम का समापन वानिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. सी. एल. ठाकुर द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी वैधानिक अधिकारी, विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिकों एवं नवप्रवेशित छात्र उपस्थित रहे।