दुनिया की सबसे बड़ी वानिकी परियोजना का हिमाचल प्रदेश में कार्यान्वयन शुरू

ज्वालामुखी : हिमाचल प्रदेश में पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों की परम्परागत बंजर तथा विकृत भूमि में आजकल हरियाली की बयार आई है। हालांकि परम्परागत तौर पर किसान अपनी खेती के विस्तार के लिए पेड़ों का कटान करते रहे हैं लेकिन राज्य के 10 जिलों की 177 ग्राम पंचायतों के 4000 हेक्टेयर क्षेत्र में 365 करोड़ रुपए की मिड-हिमालय वॉटरशैड विकास परियोजना के कार्यान्वयन से उनके दृष्टिकोण में बदलाव आया है तथा अब वह भूमि पर उगते पौधों में अपना सुनहरा भविष्य खोज रहे हैं। इस वॉटरशैड परियोजना के अंतर्गत विश्व में सबसे बड़े तथा भारत के पहले कलीन डिवलपमैंट मैकेनिज़म (सी.डी.एम.) परियोजना का कार्यान्वयन किया जा रहा है जिसके अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में विश्वबैंक इस परियोजना के क्षेत्र में नई विकसित जंगलों एवं पौधारोपण से अर्जित कार्बन को खरीदेगा तथा इससे होने वाली आय को क्षेत्र के 5,000 लोगों को बांटा जाएगा।

यह परियोजना भारत की पहली पायलट तथा विश्व की पहली कार्बन क्रेडिट परियोजना है जिसके अंतर्गत सामाजिक वानिकी कार्यक्रम के माध्यम से ग्रीन हाउस के प्रभाव को कम किया जाएगा तथा इसके एवज में विश्वबैंक सभी पक्षों को धनराशि की अदायगी करेगा।परियोजना के मुख्य परियोजना निदेशक श्री आर.के. कपूर के अनुसार, इस परियोजना का प्रभाव क्षेत्र 4003.07 हैक्टेयर क्षेत्र होगा जो कि चीन में चल रही 3,500 हैक्टेयर क्षेत्र से ज्यादा है जिसकी बदौलत इसको सबसे बड़ी परियोजना का दर्जा दिया गया है। इस परियोजना के अंतर्गत ग्लोबल वार्मिंग से लडऩे के लिए परियोजना क्षेत्र में स्थानीय पौधों की विभिन्न प्रजातियों को उगाकर वर्ष 2006 से 2025 तक 8,00,000 टन कार्बन-डाई-ऑक्साईड गैस का उत्सर्जन रोका जाएगा।

इस परियोजना के अंतर्गत आगामी 20 सालों में स्थानीय समुदाय तथा विभिन्न सांझेदारी से 20 करोड़ रुपए की आय अर्जित होगी तथा आय की पहली किस्त अगले दो सालों में मिल जाएगी। परियोजना के अन्तर्गत प्रति वर्ष 40 हजार टन कार्बन-डाई-ऑक्साईड का उत्सर्जन रोका जाएगा तथा इस परियोजना की प्रारम्भिक अवधि 20 साल तक रखी गई है जिसे बढ़ाकर कुल 60 साल तक किया जा सकता है। एक मोटे आकलन के अनुसार किसानों को 2500/- रुपए प्रति एकड़ कार्बन राजस्व प्रदान किया जाएगा जो कि पेड़ों में कार्बन के संग्रह पर निर्भर करेगा। विश्वबैंक से हुए समझौते के अनुसार बैंक को पहले चरण के अंतर्गत 2006-18 की अवधि में 3.5 लाख सर्टिफाईड एमिशन रिडक्शन बेचे जाएंगे तथा कार्बन राजस्व का आकलन करने के लिए समय-समय पर वायामास स्टॉक का मूल्यांकन किया जाएगा।

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