ज्वालामुखी: ब्रिटिश सरकार की वार पेंशन एजेन्सी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गार्डन हेक्सटेल ने स्पष्ट किया है कि दूसरे विश्व युद्घ के दौरान जापान द्घारा बनाये गये युद्घबन्दी ही ब्रिटिश सहायता के पात्र हैं । इनमें वही लोग शामिल होंगे जो जापान सन्धि की धारा 15 जो कि 1951 में अस्तितव में आई थी में शामिल सैनिक हैं । उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि भारत में कुछ लोग यह गलत प्रचार कर रहे हैं कि ब्रिटिश सेना आर्थिक सहायता दे रही है । लेकिन वास्तव में यह सब निर्धारित मापदण्डों को पूरा करने पर ही दिया जा रहा है ।
यह योजना ब्रिटिश सेना में कार्य कर चुके उन सैनिकों के लिये है जो जापान की जेलों में कैद थे । रायल नेवी, ब्रिटिश सेना , रायल एयर फोर्स के जवानों को युद्घबन्दी बनाया गया साथ ही कुछ आम लोग भी थे । उन्होंने माना कि भारत व बर्मा के कुछ पूर्व सैनिक भी थे, जिन्होंने ब्रिटिश सेना में अपनी सेवायें दी । इनकी तादाद बहुत कम है । लेकिन जापान के सन्धि के तहत दोनों देशों के सैनिकों को पच्चास के दशक में भी मदद दी गई थी । यही लोग नई स्कीम का लाभ ले सकते हैं ।
अपने बलेकपूल स्थित दफतर से लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि यह धारणा बिलकुल गलत है कि ब्रिटिश सेनामें तमाम लोग जो कार्य कर चुके हैं वह सहायता के पात्र हैं । ब्रिटिश सरकार के सामाजिक सुरक्षा विभाग की योजना के तहत पिछले दिनों ब्रिटेन में पूर्व सैनिकों को सरकारी मदद मिलने लगी तो भारत में भी इसकी प्रतिक्रिया हुई व बड़ी तादाद में पूर्व सैनिकों ने अपने दावे भी भेजे । ज्यादातर यह लोग ब्रिटिश काल में सेना में थे । लेकिन अब उन्हें निराशा ही हाथ लगी है । चूंकि उनके दस्तावेज वापिस लौटाये जा रहे हैं । हिदायत दी गई है कि आवेदन न भेजे जायें । ब्रिटिश वार एजेन्सी को इन दिनों पंजाब ,हिमाचल व दूसरे राज्यों से बड़ी तादाद में आवेदन आ रहे हैं । जिन्हें वापिस लौटाया जा रहा है ।