शिमला: संस्कृति, भाषा, सभ्यता और विरासत का संरक्षण समाज के हर व्यक्ति का दायित्व है और जो इन पर गर्व करता है, वही समाज आगे बढ़ पाता है। यह उद्गार मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने आज यहां हिन्दी दिवस के अवसर पर ऐतिहासिक पीटरहाफ में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है और यह हिन्दी भाषा की जननी है। हिन्दी को भारत में राष्ट्रीय भाषा और राज भाषा का दर्जा हासिल है और अधिकतर राज्यों में हिन्दी ही सम्पर्क का प्रमुख माध्यम है। उन्होंने कहा कि भारतीय जीवन पद्धति विश्व में सर्वोत्तम है, जिसका वर्णन पौराणिक ग्रंथों में मिलता है और आज विश्व के अनेक देश इस पर शोध कर रहे हैं और इसे जीवन में भी अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दी के प्रयोग से न केवल वार्तालाप और सम्पर्क में सुविधा मिलती है, बल्कि इसके माध्यम से राष्ट्रीय भावना भी मजबूत होती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने सभी कार्यालयों को हिन्दी भाषा में कामकाज करने के निर्देश जारी किए हैं ताकि आम जनता और सरकार के मध्य कार्य प्रणाली में पारदर्शिता लाई जा सके और लोगों को सुविधा मिल सके। हिन्दी दिवस के आयोजन को मात्र एक औपचारिकता न समझ कर इसे निरंतर अपनी दिनचर्या में समाहित करने की आवश्यकता है ताकि हमारा देश हिन्दी भाषी तथा हिन्दू संस्कृति की अपनी अनूठी पहचान को बनाये रख सके। उन्होंने कहा कि हमारे आध्यात्मिक और धार्मिक गुरुओं ने सदैव बच्चों को अच्छे संस्कार देने का मार्ग प्रशस्त किया है। बच्चे अपने माता-पिता तथा शिष्य अपने गुरुओं के प्रति और समाज अपने राष्ट्र के प्रति सम्मान की भावना रखंे, तभी हम भारतीय जीवन पद्धति को आगे बढ़ा पायेंगे। जिन मान्यताओं और मूल्यों का हिन्दू संस्कृति में उल्लेख किया गया है, उन्हें अपने जीवन में अपनाकर ही सफलता को सुनिश्चित बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे पौराणिक ग्रंथों में पर्यावरण की रक्षा के लिए नदी, वृक्ष और पहाड़ की पूजा की परम्परा को अपनाया गया, जो कि आज के संदर्भ में अधिक प्रासंगिक है।
प्रो. धूमल ने कहा कि प्रदेश सरकार हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए अनेक प्रोत्साहन योजनाएं चला रही है जिनके तहत उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों को पुरस्कार प्रदान करने के अतिरिक्त अन्य प्रोत्साहन भी शामिल हैं। उन्होंने पुरस्कार प्राप्त करने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों को बधाई दी। उन्होंने साहित्यकारों तथा लेखकों का मानदेय 250 रुपये से बढ़ाकर 1000 रुपये करने की घोषणा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जिसकी परिकल्पना पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी के सूचना पट्ट केवल हिन्दी भाषा में ही लिखे जाएं।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा प्रकाशित समेकित प्रशासनिक शब्दावली तथा साहित्यकार-कलाकार निर्देशिका पुस्तकों का विमोचन भी किया।
प्रधान सचिव भाषा, कला एवं संस्कृति श्रीमती मनीषा नंदा ने मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए हिन्दी दिवस को प्रेरणामय दिवस की संज्ञा देते हुए कहा कि हिन्दी मधुर और गौरवमयी भाषा है जिसे 50 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा बोला जाता है तथा 75 करोड़ लोग इसका बोलने के अतिरिक्त पढ़ने-लिखने में भी प्रयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि 11 राज्यों की राजभाषा हिन्दी है और तीव्रता से इस भाषा का प्रसार गैर-हिन्दीवासी राज्यों में भी हो रहा है। उन्होंने विभागीय गतिविधियों का ब्यौरा देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार हिन्दी के संरक्षण के प्रति कृतसंकल्प है।
निदेशक, भाषा, कला एवं संस्कृति डा. प्रेम शर्मा ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए आश्वासन दिया कि विभाग हर क्षेत्र में हिन्दी भाषा के प्रयोग को बढ़ावा देगा।
प्रधान सचिव खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले श्री प्रेम कुमार, सचिव सामान्य प्रशासन डा. अजय भण्डारी, उपायुक्त ऊना श्री के.आर. भारती, नगर निगम शिमला के आयुक्त श्री ए.एन. शर्मा, उपायुक्त शिमला श्री ओंकार शर्मा, पुलिस अधीक्षक शिमला श्री सोनल अग्निहोत्री सहित अनेक प्रतिष्ठित व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।