नाहन: एटरनल विश्वविद्यालय बडू साहिब में चल रहे दो दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेंस आन नर्सिंग इनफारमेटिक्स का समापन मंगलवार देर दोहपर हो गया। कार्यक्रम के दौरान अमेरिका के पांच विश्वविद्यालयों से आए डा0 व प्रोफेसरों ने अमेरिका में किस तरह से मेडिकल में इस्तेमाल होने वाली नई तकनीकों को वीडियो क्लीप व यू—टयूब के माध्यम से देश के कौने—कौने से आए डा0 व प्रोफेसरों के साथ—साथ नर्सिंग की छात्राओं को जानकारी दी। विदेश से आए डाक्टरों व प्रोफेसरों ने बताया कि अमेरिका में नई मेडिकल तकनीक से मरीज की हरेक बीमारियों व मरीज द्वारा किस तरह की दवाइयां इस्तेमाल में लाई जा रही हैं, के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि नई तकनीक से यह भी पता भी लग सकता है कि मरीज का क्या मेडिकल डाटा रिकार्ड है। कार्यक्रम में यह विदेश से आए डाक्टरों व प्रोफेसरों ने यहां के डाक्टरों व प्रोफेसरों के साथ मेडिकल नई तकनीक किस तरह प्रयोग में लाई जा रही है के बारे अपने विचार सांझा किए। कार्यक्रम में देश के डाक्टरों व प्रोफेसरों ने बताया कि अगर सभी कार्य मशीनों द्वारा किया जाएगा तो नर्सिंग कर चुकी नर्सों से क्या काम लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि नर्सों की अहमियत ही खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि जो कार्य नर्स कर सकती है वह मशीन नहीं कर सकती तथा मशीनों को चलाने के लिए भी किसी न किसी की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि इन मशीनों को चलाने के लिए नर्सों को प्रशिक्षित करना होगा। कार्यक्रम में मौजूद डेलीगेटस ने विदेश से आए डाक्टरों से विचार सांझा करते हुए कहा कि अगर इस नई तकनीक में नर्सों को प्रशिक्षित किया जाए तो मरीजों की अच्छी तरह से देखरेख हो सकती है। डेलीगेटस ने कहा कि जिस तरह से अस्पताल में मरीजों की देखरेख नर्सें कर सकती है वह मशीन नहीं कर सकती है। मरीजों के साथ नर्सों द्वारा किए जाने वाले व्यवहार ही मरीजों की आधी बीमारी दूर कर देता है। कार्यक्रम के बारे जानकारी देते हुए मीडिया मैनेजर शीतल सुब्बा ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान पोस्टर मैकिंग व प्रश्रोतरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि पोस्टर मैकिंग प्रतियोगिता में अकाल कालेज आफ नर्सिंग बडू साहिब के छात्राओं ने प्रथम स्थान अर्जित किया जबकि प्रश्रोतरी प्रतियोगिता में चंडीगढ़ पीजीआई के पर्ल ग्रुप छात्राओं प्रथम स्थान प्राप्त किया। कार्यक्रम में यूएसए से आए शिक्षाविद डा. विलियम गोरोस्की, डा. मैरीलू, डा. सेंडरा व डा. चरणजीत कौर बरार के साथ—साथ देश के डाक्टरों व प्रोफेसरों ने भाग लिया।