धूम्रपान को अलविदा – टी0बी0 अस्थमा, कैंसर से छुटकारा

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By संवाददाता

29.3 प्रतिशत छात्र भी नशे के शिकार

(सुभाष चन्द्र शर्मा ) राष्ट्रीय फेफड़े संबंधी तृतीय द्विवार्षिक कैंसर सम्मेलन में अनुसंधान के अनुसार हिमाचल प्रदेश में फेफडे़ संबंधी कैंसर के मामलों में वृद्धि हुई है जिनमें 26 प्रतिशत पुरूष तथा 6.7 प्रतिशत महिलाएं फेफड़ों के कैंसर से ग्रसित है जिसका मूल कारण धूम्रपान है।
क्षेत्रीय चिकित्सालय नाहन के चिकित्सा अधीक्षक डॉ0 अजय कुमार गुप्ता जो मैडीसन में एम.डी. हैं बताते हैं कि सिगरेट, भांग, गुटका, बीड़ी, सुल्फा, गांजा, अफीम ऐसे मादक द्रव्यों की श्रेणी में आते हैं जो न केवल फेफडों के कैंसर अपितु अस्थमा, टी0बी0, हृदय रोग जैसे जानलेवा रोगों को प्रोत्साहित करते हैं । डॉ0 गुप्ता बताते हैं कि विभिन्न प्रकार के नशे प्रयोग करने से रोगी को सांस संबंधी रोग होते हैं जिनसे श्वास नलियां संकीर्ण हो जाती है तथा रोगी को सांस छोड़ने मे तकलीफ होती है।
विश्व तम्बाकू सर्वेक्षण, 2004 के अनुसार इस राज्य में 19.6 प्रतिशत धूम्रपान की इस लत से छुटकारा पाना चाहते हैं। आईजीएमसी के सर्वेक्षण के अनुसार 29.3 प्रतिशत छात्र धूम्रपान की इस लत के शिकार हैं।
वास्तव में नशा एक धीमा जहर है जो व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक, सामाजिक व आर्थिक रूप से कमजोर करता है। इन नशों के सेवन से व्यक्ति उपर वर्णित अनेक प्रकार के रोगों से ग्रस्त हो जाता है। नशेड़ी व्यक्ति स्वयं तो लम्बी बीमारी के कारण तड़प-तड़प कर मर जाता है वह अपने परिजनों के लिए भी दुःख का कारण बनता है।
सर्वेक्षण बताते हैं कि नशीले पद्धार्थों की लत के कारण मनुष्य सदैव चिन्तित व उदासीन रहता है तथा यादाश्त को कमजोर कर बैठता है। उसका काम में मन नहीं लगता, भूख न लगने के कारण उसका वजन भी कम हो जाता है। नशे के कारण मनुष्य गुस्सा, बैचेनी, उदासी तथा पागलपन तक का शिकार हो जाता है। मनुष्य अनैतिक कार्यों में संलिप्त हो जाता है तथा वह हीन भावना से ग्रसित हो जाता है।
समाज में नशे की इस बीमारी को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा ‘हिमाचल प्रदेश धूम्रपान प्रतिषेध और अधूम्रसेवी स्वास्थ्य संरक्षण अधिनियम 1997’ लागू किया गया है इसके तहत् सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध किया गया है। पहली मई, 2004 से तम्बाकू नियंत्रण कानून लागू है। मादक द्रव्य व नशीले पद्धार्थ अधिनियम 1985 को भी राज्य में कड़ाई से लागू किया गया है।
सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग द्वारा भी नशानिवारण को मध्यनजर रखते हुए विभिन्न ग्राम पंचायतों, युवा व महिला मण्डलों के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया है। प्रदेश में कई स्थानों पर नशामुक्ति केन्द्र भी खोले गए है। समाज के सभी वर्गों को नशानिवारण अभियान में शामिल होकर स्वस्थ समाज का निर्माण करने में अपना सहयोग देना चाहिए।